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नई दिल्ली: वैश्विक आर्थिक हालात गंभीर और चिंताजनक हैं, जिसके कारण विभिन्न देश अपनी प्रणालियों के लिए सुरक्षात्मक उपाय कर रहे हैं ताकि अपने-आपको नरमी के बचाया जा सके और अपनी सीमा में वृद्धि दर्ज की जा सके। यह बात वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कही। जेटली ने एशिया सोसायटी में कहा, यदि आप मुझसे पूछें कि वैश्विक स्थिति कैसी है तो मुझे लगता है कि यह गंभीर और चिंताजनक है। अगले दो-एक साल में कैसी स्थिति होगी .. इसके बारे में मुझे नहीं लगता है कि कोई भी उल्लेखनीय अंदाजा लगाने में कामयाब हुआ है। उनसे यह पूछा गया था कि अगले दो-एक साल में वैश्विक अर्थव्यवस्था के बारे में उनका क्या अनुमान है। उन्होंने कहा कि वैश्विक आर्थिक हालात की चुनौतियों को देखते हुए विभिन्न देशों की आकांक्षा का स्तर ऐसा है कि मौजूदा हालात में एक-दो प्रतिशत आर्थिक वृद्धि को अच्छी वृद्धि माना जाता है। जेटली ने कहा, वैश्विक स्थिति चुनौतीपूर्ण है। वैश्विक कारकों ने भारत को भी प्रभावित किया है और वे विशेष तौर पर निर्यात के लिहाज से हमें प्रभावित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि चीन उल्लेखनीय रूप से आशावादी है क्योंकि पहली तिमाही में अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 6.7 प्रतिशत रही।

न्यूयार्क: वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भारतीय अर्थव्यवस्था को अंधों में काना राजा बताने वाले रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन के बयान को एक प्रकार से खारिज करते हुए कहा कि शेष दुनियाकी तुलना में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि कहीं बहुत तेज है, वास्तव में, सबसे तेज है। जेटली ने कहा कि 7.5 प्रतिशत की वृद्धि दर पर कोई और देश जश्न मना रहा होता, लेकिन यह भारत की वृद्धि की कहानी का सम्मान ही है कि हम इस पर भी बेचैन हैं, क्योंकि हम जानते हैं कि हमारी क्षमता इससे कहीं अधिक की है। जेटली से सीएनबीसी टीवी 18 ने राजन के उस बयान के बारे में पूछा गया था जिसमें गवर्नर ने पिछले सप्ताह कहा था कि 7.5 प्रतिशत की वद्धि के साथ भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति अंधों में काना राजा की है। जेटली ने कहा, ‘बाकी दुनिया की तुलना में हमारी वृद्धि बहुत तेज है, वास्तव में सबसे तेज है। हमारी क्षमता के हिसाब से हम और अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं।’ कुछ और बेहतर करने की क्षमता के बारे में जेटली ने कहा, ‘मैं कुछ कारक मसलन बेहतर मानसून और सुधारों को देख रहा हूं। यदि ये हमारे लिए अनुकूल रहते हैं, तो हम कहीं बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं।’ वित्त मंत्री ने कहा, ‘यह मानते हुए कि मानसून कुछ हल्का या अच्छा रहेगा, मुझे पूरा विश्वास है कि हम अपनी वृद्धि दर में सुधार सकेंगे।

हैदराबाद: कर्मचारी भविष्य निधि की योजना से धन निकालने के नियमों को सख्त किए जाने के खिलाफ कर्मचारियों के बढ़ते विरोध के मद्देनजर सरकार ने संबंधित अधिसूचना को रद्द कर दिया। इस फैसले से कुछ ही घंटे पहले सरकार की ओर से कहा गया था कि वह अधिसूचना के क्रियान्वयन को तीन महीने के लिये टाल रही है। केंद्रीय श्रम मंत्री बंदारू दत्तात्रेय ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि दस फरवरी 2016 को जारी अधिसूचना रदद कर दी गयी है। अब पुरानी व्यवस्था बनी रहेगी। उन्होंने कहा कि मैं ईपीफएओ के केंद्रीय न्यासी बोर्ड से इसकी पुष्टि कराऊंगा। इस मुद्दे पर कर्नाटक के सिले-सिलाये वस्त्र उद्योग के श्रमिक दो दिन से विरोध प्रदर्शन कर रहे थे जिसने आज हिंसक रूप ले लिया। श्रमिकों ने आज बेंगलुरू में कई बसों को आग लगा दी और एक थाने पर पथराव किया। संशोधित नियम को वापस लिए जाने के कारणों के बारे में बताते हुए दत्तात्रेय ने कहा कि इसका कारण ट्रेड यूनियनों का अनुरोध है। भविष्य निधि से निकासी नियमों को कड़ा करने का फैसला भी ट्रेड यूनियनों की राय से लिया गया था। अब जब ट्रेड यूनियन अनुरोध कर रहे हैं, तब हमने निर्णय को वापस ले लिया।

नई दिल्ली: केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमण ने रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन के भारतीय अर्थव्यवस्था को ‘अंधों में काना राजा’ बताने संबंधी बयान की आलोचना की है। उन्होंने कहा है कि इसके लिए कुछ और अच्छे शब्दों का इस्तेमाल किया जा सकता था। सीतारमण ने एक संवाददाता सम्मेलन में सोमवार को कहा, ‘मैं उनके शब्दों के चयन से खुश नहीं हूं। मुझे लगता है कि सरकार ने जो भी कार्रवाई की, उसके नतीजे दिख रहे हैं। एफडीआई सुधर रहा है। विनिर्माण क्षेत्र में सुधार के भी स्पष्ट संकेत दिख रहे हैं। मुद्रास्फीति, चालू खाते का घाटा भी नियंत्रण में है।’ मंत्री ने कहा कि यदि वह जो कहना चाहते थे उसके लिए अच्छे शब्दों का चयन करते तो अच्छा लगता। कमजोर वैश्विक आर्थिक हालात के बीच आईएमएफ सहित विभिन्न संस्थानों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को आर्थिक वृद्धि के लिहाज से ‘चमकते बिंदुओं में से एक’ करार दिया है। राजन की अगुवाई में रिजर्व बैंक को भी इस बात का श्रेय दिया जाता है कि उन्होंने देश की वित्तीय प्रणाली को बाहरी झटकों से बचाने के लिए उचित कदम उठाए हैं। जन से जब ‘चमकते बिंदु’ वाले इस सिद्धांत पर उनकी राय जाननी चाही तो उन्होंने कहा,‘मुझे लगता है कि हमें अब भी वह स्थान हासिल करना है जहां हम संतुष्ट हो सकें। हमारे यहां लोकोक्ति है,‘अंधों में काना राजा।... हम थोड़ा बहुत वैसे ही हैं।’

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