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नई दिल्ली: लोकसभा द्वारा मंजूर वित्त विधेयक 2016 में संशोधनों के अनुसार घरेलू कालाधन धारकों के लिए प्रस्तावित 4 महीने की अनुपालन सुविधा के तहत किए गए खुलासे गुप्त रखे जाएंगे। प्रस्तावित अनुपालन सुविधा एक जून से शुरू होगी। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कल लोकसभा में वित्त विधेयक 2016 पर बहस का जवाब देते समय 21 संशोधन लॉन्च किए। विधेयक व संशोधनों को मंजूरी दी गई जिसके साथ ही लोक सभा में बजट पारित कराने की प्रक्रिया पूरी हो गई। यह विधेयक अब राज्यसभा में चर्चा के लिए रखा जाएगा जो बजट के मामले में एक औपचारिकता भर होती है। वित्त मंत्रालय ने संशोधनों का विवरण जारी किया है। इसके अनुसार,‘ वित्त विधयेक के अध्याय नौ तहत आय घोषणा योजना 2016 शुरू करना प्रस्तावित है।’ इस योजना के तहत उन व्यक्तियों के लिए अनुपालन का मौका दिया गया है जिन्होंने पहले अपनी आय पर कर का भुगतान नहीं किया था। वे इस योजना के तहत उस आय की घोषणा कतरे हुए कर, अधिभार व जुर्माने का भुगतान कर नियम का अनुपालन कर सकते हैं। कर, अधिभार और जुर्माना कुल मिला कर आय का 45 प्रतिशत होगा। इसके अनुसार अब आयकर कानून की धारा 138 व 119 को आयकर घोषणा योजना 2016 में शामिल किया गया है।

फ्रैंकफर्ट: वित्त मंत्री अरण जेटली ने आज (बुधवार) एक बार फिर कहा कि विदेशों में अवैध खाते रखने वालों को बख्शा नहीं जायेगा। उन्होंने कहा कि पनामा दस्तावेजों में जिन लोगों के नाम है उन्हें आयकर विभाग ने पहले ही नोटिस भेज दिये हैं, जो जवाब आयेंगे उनका मिलान आयकर रिटर्न के साथ किया जायेगा जिससे उनकी वैध अथवा अवैध होने का पता चल सकेगा। जेटली ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘आयकर विभाग ने उन सभी लोगों को नोटिस भेजा है जिनके नाम अब तक इसमें (पनामा दस्तावेजों) में आये हैं। अब उन लोगों से जवाब मिलेगा और उसके आधार पर ही विभाग यह तय करेगा कि कौन से खाते और संपत्तियों वैध हैं और कौन से अवैध रूप से रखी गई हैं।’ पनामा के दस्तावेजों में किये गये खुलासे की जांच के लिये सरकार ने विभिन्न एजेंसियों का एक समूह गठित किया है। पनामा में पिछले माह जारी दस्तावेजों में अनेक भारतीय उद्योगपतियों, कलाकारों और प्रमुख अभिनेताओं सहित करीब 500 भारतीय की सूची जारी की गई है जिनके कथित तौर पर विदेशी कंपनियों में धन निवेश किया है।

सिंगापुर: अंतरराष्ट्रीय मुदाकोष (आईएमएफ) का कहना है कि एशिया प्रशांत देशों में भारत व चीन में वित्तीय असमानता सबसे अधिक है भले ही ये दोनों देश सबसे तेजी से बढ़ी अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हों। आईएमएफ के अनुसार चीन व भारत ने तेजी से वृद्धि की है और इनकी गरीबी में तीव्र गिरावट आई है हालांकि आर्थिक मोर्चे पर इस प्रभावी प्रदर्शन के साथ साथ असमानता का स्तर भी बढा है। आईएमएफ ने कहा है, ‘इससे पहले एशिया में तीव्र वृद्धि. फायदों के समान वितरण के साथ हुई। लेकिन हाल ही में तेजी से बढ़ती एशियाई अर्थव्यवस्थाओं ने लाखों लोगों को गरीबी के दायरे से निकाला है लेकिन ‘समानता के साथ वृद्धि’ नजर नहीं आती।’ रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन शहरी इलाकों में मध्यम वर्ग में वृद्धि करने में सफल रहा है वहीं भारत व इंडोनेशिया अपनी अच्छी खासी जनसंख्या को उंचे आय स्तर की ओर ले जाने में सघंर्ष कर रहा है। इसके अनुसार,‘भारत में, गांवों व शहरी क्षेत्रों के बीच का अंतर बढा है और इसके साथ ही शहरों के बीच भी असमानता बढी है।’

नई दिल्ली: संसद की एक समिति ने रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के बढ़ते डूबे कर्ज (एनपीए) की वास्तविक वजह बताने को कहा है। राजन ने समिति के समक्ष इसकी प्रमुख वजह कुल आर्थिक कमजोरी को बताया है। कांग्रेस नेता के.वी. थॉमस की अगुवाई वाली लोक लेखा समिति (पीएसी) ने राजन के जवाब की समीक्षा की। समिति का कार्यकाल कल समाप्त हो गया है। सूत्रों ने बताया कि समिति के पुनर्गठन के बाद रिजर्व बैंक के गवर्नर को भविष्य में उसके समक्ष पेश होने को कहा जा सकता है। इसके अलावा विभिन्न सरकारी बैंकों को भी अपनी स्थिति स्पष्ट करने के लिए समिति के समक्ष पेश होने का कहा जा सकता है। संसदीय समिति ने स्वत: संज्ञान लेते हुए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की गैर निष्पादित आस्तियों की समीक्षा का फैसला किया था। दिसंबर, 2015 के अंत तक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का एनपीए 3.61 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया। दिसंबर के अंत तक 701 खाते ऐसे थे, जिनपर सरकारी बैंकों का बकाया 1.63 लाख करोड़ रुपये था। इन सभी खातों पर बकाया 100-100 करोड़ रुपये से अधिक था। इसमें सबसे अधिक हिस्सा भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) का था।

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