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नई दिल्‍ली: देश में चौथी तिमाही की विकास दर का आंकड़ा मंगलवार को जारी किया गया। वित्तीय वर्ष 2021-22 की आखिरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट 4.1 फीसदी रहा है। जबकि पूरे वित्त वर्ष की बात करें तो यह 8.7 फीसदी रहा है। देश में लगातार चौथे साल अच्छे मानसून के संकेतों के बीच ये विकास दर शुभ संकेत हैं। हालांकि कोरोना के दो साल में अर्थव्यवस्था के बाद औद्योगिक विकास की रफ्तार दोबारा पटरी पर लौट रही है। मंगलवार को जारी आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि 2021-22 के चौथे क्‍वार्टर में भारतीय इकोनॉमी ने 4.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की। इसके फलस्‍वरूप वार्षिक वृद्धि दर 8.7 फीसदी तक पहुंच गई है।

मुख्य आर्थिक सलाहकार अनंता नागेश्वरन ने जीडीपी के आंकड़ों पर कहा है कि 4.1 फीसदी की जीडीपी दर अनुमान से बेहतर है, जनवरी में ओमिक्रॉन की लहर को लेकर चिंताओं के बीच यह बेहतर है। नागेश्वरन ने कहा कि आयातित सामानों पर बढ़ते दबाव के बीच महंगाई को लेकर दबाव है। वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल के दाम दोबारा 120 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गए हैं।

गांधीनगर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि भारत आदर्श सहकारिता ग्राम की ओर बढ़ रहा है। कल गुजरात की गांधीनगर के महात्‍मा मंदिर में सहकार से समृद्धि सम्‍मेलन में उन्‍होंने कहा कि राज्‍य में ऐसे छह गांवों को चिह्नित किया गया है जहां सभी सहकारी सुविधाएं उपलब्‍ध होंगी।

प्रधानमंत्री ने कल गुजरात में कलोल स्थित इफ्को में दुनिया के पहले नैनो तरल यूरिया संयंत्र का उद्घाटन किया। उन्‍होंने कहा कि इस संयंत्र से अब एक बोरी यूरिया की क्षमता को एक बोतल में समेट पाना संभव होगा। इससे ढुलाई की लागत कम होगी और छोटे किसानों को फायदा होगा। यूरिया की बोरी की ताकत एक बोतल में समा गई है। यानी नैनो यूरिया की आधा लीटर बोतल किसान की एक बोरी यूरिया की जरूरत को पूरा करेगी। ये जो आधुनिक प्‍लांट कलोल में लगा है, इसकी कैपेसिटी अभी डेढ़ लाख बोतल के उत्‍पादन की है। लेकिन आने वाले समय में ऐसे आठ और प्‍लांट देश में लगने वाले हैं। इससे यूरिया पर विदेशी निर्भरता कम होगी, देश का पैसा भी बचेगा।

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने महंगाई पर काबू पाने के लिए एक और बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने मार्च 2024 तक कच्चे सोयाबीन और सूरजमुखी तेल के आयात को शुल्क मुक्त कर दिया है। इसके अलावा इनके आयात पर कृषि सेस भी नहीं लगेगा। सरकार का यह फैसला 24 मई की आधी रात से ही प्रभावी हो गया।

वित्त मंत्रालय की ओर से जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक, वित्त वर्ष 2022-23 और 2023-24 में प्रत्येक वर्ष 20 लाख टन कच्चे सोयाबीन और सूरजमुखी तेल के आयात पर कोई शुल्क नहीं लगेगा। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआइसी) ने ट्वीट कर कहा है कि इस कदम से महंगाई पर अंकुश लगेगा और आम आदमी को राहत मिलेगी। भारत अपनी जरूरत का 60 फीसदी खाद्य तेल आयात करता है। महंगाई में खाद्य तेल की प्रमुख भागीदारी है और पिछले तीन महीनों से खाद्य तेल के खुदरा दाम में 15 फीसदी से अधिक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।

नई दिल्ली: बढ़ती महंगाई पर काबू पाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में सरकार ने गेहूं की तरह अब चीनी निर्यात पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। इसके अलावा, एक बार फिर पेट्रोल-डीजल पर उत्पाद शुल्क में कटौती की जा सकती है।

चीनी के निर्यात पर एक जून से पाबंदी

सरकार ने मंगलवार को चीनी के निर्यात पर एक जून से पाबंदी लगा दी, जिसका उद्देश्य घरेलू बाजार में इसकी उपलब्धता बढ़ाना और मूल्य वृद्धि को रोकना है। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने कहा कि "चीनी सीजन 2021-22 (अक्टूबर-सितंबर) के दौरान देश में चीनी की घरेलू उपलब्धता और मूल्य स्थिरता बनाए रखने के लिए केंद्र सरकार अगले आदेश तक एक जून, 2022 से चीनी निर्यात को नियंत्रित करेगी। सरकार 100 एलएमटी (लाख मीट्रिक टन) तक चीनी निर्यात की अनुमति देगी।"

विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने एक अधिसूचना में कहा, ‘‘चीनी (कच्ची, परिष्कृत और सफेद चीनी) का निर्यात एक जून, 2022 से प्रतिबंधित श्रेणी में रखा गया है।’’

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