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नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय तेल बाजार में ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमत एक बार फिर तेजी से बढ़ने लगी है। रूस यूक्रेन युद्ध को लेकर बढ़ती अनिश्चितता के बीच मंगलवार को ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमत पिछले 2 महीने में सबसे ऊंचे स्तर $124 प्रति बैरल तक पहुंच गई। बुधवार को भी इसकी कीमत 121 डॉलर प्रति बैरल के करीब रही। इसके साथ ही करीब 85% तेल के आयात पर निर्भर भारत का ऑयल इम्पोर्ट बिल फिर बढ़ रहा है और महंगाई के मोर्चे पर चुनौती बड़ी हो रही है।

महंगाई के मोर्चे पर बढ़ेगी चुनौती

रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर बढ़ती अनिश्चितता के बीच यूरोपियन यूनियन के सदस्य देशों ने रूस से दो-तिहाई से ज्यादा कच्चे तेल के आयात पर प्रतिबन्ध लगाने का एलान कर दिया है। इसके साथ ही अंतराष्ट्रीय तेल बाजार में ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमत मंगलवार को 124 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गयी जो पिछले दो महीनों में सबसे ज्यादा है। पेट्रोलियम मंत्रालय के पेट्रोलियम प्लानिंग और अनालिसिस सेल के ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक 31 मई, 2022 को कच्चे तेल के इंडियन बास्केट की कीमत बढ़कर 118.31 प्रति बैरल पहुंच गयी।

इसके साथ ही मई महीने में कच्चे तेल के इंडियन बास्केट की औसत कीमत 109.51 प्रति बैरल पर पहुंच गयी। अप्रैल में कच्चे तेल के इंडियन बास्केट की औसत कीमत 102.97 प्रति बैरल थी।

जाहिर है, बढ़ती महंगाई को नियंत्रित करने की कोशिश में जुटी भारत सरकार की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं। मंगलवार को 2021-22 की चौथी तिमाही में जीडीपी की विकास दर गिर कर 4.1% रह गयी। अब भारत सरकार में महंगे होते कच्चे तेल को लेकर चिंता बढ़ती जा रही है। मुख्य आर्थिक सलाहकार अनंत नागेश्वरन ने कहा है कि ब्रेंट क्रूड ऑयल के इंडियन बास्केट की कीमत फिर $120 की तरफ बढ़ रही है देश में महंगाई दर ऊंची बनी रहेगी क्योंकि इंपोर्ट प्राइस प्रेशर बढ़ रहा है।

तेल अर्थशास्त्री किरीट पारीख के मुताबिक रूस यूक्रेन युद्ध खत्म होने के आसार नहीं दिखाई दे रहे और आने वाले दिनों में अंतरराष्ट्रीय तेल बाजार में कच्चा तेल और महंगा होकर 130 से $140 प्रति बैरल तक पहुंच सकता है। किरीट पारीख ने मीडिया से कहा कि इस बढ़ती चुनौती से निपटने के लिए भारत को ईरान और रूस से सस्ते दरों पर कच्चा तेल का आयात बड़ी मात्रा में करने की कोशिश जल्दी तेज करनी होगी।

किरीट पारीख ने कहा, "भारत के लिए ये एक बेहद चिंता की बात है। यूक्रेन युद्ध की वजह से कच्चे तेल की कीमत 130 से 140 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती है। भारत को ईरान से क्रूड आयल पहले के बार्टर सिस्टम के तहत रुपये में आयात करने पर बातचीत शुरू करनी चाहिए। रूस से भी भारत को सस्ता डिस्काउंटेड तेल का आयात जल्दी बढ़ाना होगा।" बताते चलें कि पिछले ही महीने भारत सरकार और कुछ राज्य सरकारों ने पेट्रोल-डीज़ल की कीमतों को नियंत्रित काने के लिए उनपर एक्साइज ड्यूटी घटाया था। लेकिन इसके बावजूद पेट्रोल और डीजल पर टैक्स का हिस्सा अब भी ज्यादा है।

इधर बुधवार को इंडियन ऑयल ने एक रिपोर्ट जारी कर कहा कि1 जून को दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 96.72/लीटर थी। इसमें भारत सरकार द्वारा लगाए जाने वाले एक्साइज ड्यूटी का हिस्सा 19.90 रुपया प्रति लीटर और दिल्ली सरकार के वैट का हिस्सा 15.71 रुपया प्रति लीटर था। दिल्ली में प्रति लीटर पेट्रोल पर टैक्स का हिस्सा .35.61 रुपया प्रति लीटर था यानी 36.81%। ज़ाहिर है, महंगाई के मोर्चे पर भारत सरकार के सामने चुनौती बड़ी हो रही है और ये ट्रेंड अगर बरक़रार रहा तो सरकार को हालत से निपटने के लिए और बड़े स्तर पर हस्तक्षेप करने की जरूरत होगी।

 

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