नई दिल्ली: देश की जनता को महंगाई के मोर्चे पर एक के बाद एक बड़े झटके लग रहे हैं। सरकार की तमाम कोशिशें बढ़ती महंगाई को काबू करने में नाकाम साबित हो रही हैं। बीते दिनों खुदरा मुद्रास्फीति आठ साल के उच्च स्तर पर पहुंच गई और अब थोक मुद्रास्फीति में भी तेज वृद्धि देखने को मिली है। सरकार की ओर से मंगलवार को जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल में थोक महंगाई दर 15.08 फीसदी के उच्च स्तर पर पहुंच गई। इससे बीते महीने मार्च में यह 14.55 फीसदी पर थी। थोक महंगाई का यह आंकड़ा बीते नौ सालों में सबसे बड़ा है।
लगातार 13वें महीने दोहरे अंकों में
थोक महंगाई के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने में सबसे बड़ा हाथ खाद्य से लेकर जिंसों तक की कीमतों में बढ़ोतरी का है। यहां बता दें कि इससे पिछले साल की समान अवधि में थोक महंगाई दर 10.74 फीसदी पर थी। गौर करने वाली बात यह है कि थोक मुद्रास्फीति पिछले साल अप्रैल से लगातार 13वें महीने दोहरे अंकों में बनी हुई है।
वाणिज्य मंत्रालय ने बताया कारण
खुदरा के बाद थोक महंगाई में हुए इस बड़े इजाफे पर वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि अप्रैल 2022 में मुद्रास्फीति की उच्च दर मुख्य रूप से खनिज तेलों, मूल धातुओं, कच्चे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, खाद्य पदार्थों, गैर-खाद्य वस्तुओं, खाद्य उत्पादों और रसायनों और रासायनिक उत्पादों की कीमतों में वृद्धि के कारण थी।
खाने-पीने की चीजों में महंगाई
सरकारी आंकड़ों पर नजर डालें तो खाद्य पदार्थों में मुद्रास्फीति 8.35 प्रतिशत रही, क्योंकि सब्जियों, गेहूं, फलों और आलू की कीमतों में एक साल पहले की तुलना में तेज वृद्धि देखने को मिली। इसके अलावा ईंधन और बिजली में मुद्रास्फीति 38.66 प्रतिशत थी, जबकि विनिर्मित उत्पादों और तिलहन में यह क्रमशः 10.85 प्रतिशत और 16.10 प्रतिशत थी। कच्चे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस की मुद्रास्फीति अप्रैल में 69.07 प्रतिशत थी।
आठ साल के हाई पर खुदरा महंगाई
गौरतलब है कि पिछले सप्ताह सरकार की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, देश में खुदरा महंगाई दर अप्रैल में बढ़कर आठ साल के उच्च स्तर पर पहुंच गई। यह मार्च महीने में 6.95 फीसदी की तुलना में अप्रैल में 7.79 फीसदी की दर से बढ़ी। इसके साथ ही आपको बता दें कि खुदरा महंगाई दर लगातार चौथे महीने रिजर्व बैंक के मुद्रास्फीति लक्ष्य से ऊपर रही है।