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नई दिल्‍ली: देश में खुदरा महंगाई दर में तेज उछाल देखने को मिला है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार मार्च माह में खुदरा मुद्रास्फीति 6.95 प्रतिशत थी जो अप्रैल में छलांग लगाने ते हुए 7.79 प्रतिशत पर पहुंच गई है। खुदरा महंगाई दर में आया यह उछाल मुख्‍यत: ईधन और खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों के कारण माना जा रहा है। उपभोक्‍ता मूल्‍य आधारित महंगाई आंकड़ा लगातार चौथे माह रिजर्व बैंक की ऊपरी सहनशीलता सीमा से काफी ऊपर रहा।

खाद्य पदार्थों की कीमतों में भारी बढ़ोतरी के चलते खुदरा मुद्रास्फीति बढ़ी है और यह रिजर्व बैंक के लक्ष्य की ऊपरी सीमा से लगातार चौथे महीने ऊपर रही है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित महंगाई इस साल मार्च में 6.95 फीसदी थी और अप्रैल 2021 में यह 4.23 फीसदी थी।

खाद्य मुद्रास्फीति अप्रैल में बढ़कर 8.38 प्रतिशत हो गई, जो इससे पिछले महीने में 7.68 प्रतिशत और एक साल पहले इसी महीने में 1.96 प्रतिशत थी। सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि मुद्रास्फीति चार प्रतिशत के स्तर पर रहे, जिसमें ऊपर-नीचे दो प्रतिशत तक घट-बढ़ हो सकती है।

जनवरी से खुदरा मुद्रास्फीति छह प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है।

खुदरा महंगाई के आंकड़े जारी होने से पहले ही विशेषज्ञों ने अनुमान जताया था कि अप्रैल में इसकी दर बढ़कर 7.5 फीसदी पर पहुंच सकती है, लेकिन जो आंकड़े सामने आए वे पुर्वानुमान से भी ज्यादा निकले। गौरतलब है कि सीपीआई पहले से ही सरकार की ओर से तय किए गए लक्ष्य से ऊपर चल रही है।

औद्योगिक उत्पादन मार्च में 1.9 फीसदी बढ़ा

इस बीच देश का औद्योगिक उत्पादन मार्च में 1.9 फीसदी बढ़ा है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, मार्च में विनिर्माण क्षेत्र के उत्पादन में 0.9 फीसदी बढ़ोतरी हुई। समीक्षाधीन महीने में खनन उत्पादन चार प्रतिशत और बिजली उत्पादन 6.1 प्रतिशत बढ़ा। मार्च 2021 में औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) 24.2 प्रतिशत बढ़ा था।

वित्त वर्ष 2021-22 में औद्योगिक उत्पादन में 11.3 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। 2020-21 में इसमें 8.4 प्रतिशत की गिरावट आई थी। मार्च 2020 में कोरोना वायरस महामारी की वजह से औद्योगिक उत्पादन बुरी तरह प्रभावित हुआ था। उस समय इसमें 18.7 प्रतिशत की बड़ी गिरावट आई थी। अप्रैल 2020 में औद्योगिक उत्पादन 57.3 प्रतिशत घटा था। उस समय महामारी की वजह से लॉकडाउन लगाया था जिससे आर्थिक गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित हुई थीं।

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