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नई दिल्ली: पेट्रोल और डीजल की कीमतें दोबारा 100 के पास पहुंच गई हैं और इसमें टैक्स की करीब 45 फीसदी हिस्सेदारी है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को राज्यसभा में कहा कि पेट्रोल औऱ डीजल पर रोड और इन्फ्रा सेस से पिछले दस सालों में 11.32 लाख करोड़ रुपये का राजस्व जुटाया गया है। यह आंकड़ा वर्ष 2010-11 से 2022-23 के बीच की अवधि का है। यानी औसतन हर साल करीब एक लाख करोड़ रुपये सेस से प्राप्त हुआ है। सीतारमण ने ये भी जानकारी दी है कि वर्ष 2013-14 से 2022 के बीच हेल्थ एवं एजुकेशन सेस 3.77 लाख करोड़ रुपये का राजस्व जुटाया गया, जबकि इसमें उपयोगिता 3.94 लाख करोड़ रुपये की रही है।

वित्त मंत्री ने यह भी बताया कि केंद्र की ओर से राज्यों को टैक्स में हिस्सेदारी के तौर पर 8.35 लाख करोड़ रुपये इस वित्तीय वर्ष में दिए गए हैं, जबकि संशोधित अनुमान 7.45 लाख करोड़ रुपये का था। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा कि सरचार्ज और सेस के एवज में कटौती के दावे से संबंधित पिछली तिथि से संशोधन का उद्देश्य इस प्रावधान का दुरुपयोग रोकना है।

यह खासकर उन लोगों के लिये है, जो इसे छूट या कारोबार खर्च के रूप में देखते रहे हैं। वित्त विधेयक में अधिभार या उपकर के लिए कटौती की अनुमति पर रोक आकलन वर्ष 2005-06 से लागू करने का प्रस्ताव रखा गया था। लोकसभा में वित्त विधेयक में संशोधन को दी गई मंजूरी के मुताबिक, उपकर या अधिभार के बदले कटौती के लिए किया गया कोई भी दावा ‘कम बताई गई आय' माना जाएगा और वह 50 फीसदी जुर्माने का हकदार होगा। वित्त मंत्री ने लोकसभा में वित्त विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि करों पर लगने वाले उपकर एवं अधिभार का वर्षों से दुरुपयोग होता आया है और लोग इसे छूट या कारोबारी खर्च के तौर पर लेते रहे हैं।

वित्त मंत्री ने कहा, इस पर लोग अदालतों में भी गए हैं। इसलिए पिछली तारीख से लागू होने वाले प्रभाव के साथ एक संशोधन लाया गया है ताकि अधिक स्पष्टता आए। वित्त मंत्री ने इस संशोधन की वजह से करदाताओं पर किसी तरह का बोझ न पड़ने का जिक्र करते हुए कहा कि अगर करदाता खुद ही कटौती के रूप में बताई गई राशि का खुलासा कर अधिकारियों के सामने करते हैं तो उन पर कोई जुर्माना नहीं लगेगा। अगर करदाता खुद ही इसकी जानकारी देता है तो उस पर कोई जुर्माना नहीं लगेगा। करदाता की आय का नए सिरे से आकलन किया जाएगा जिसके बाद वैध कर का भुगतान किया जा सकता है। वित्त मंत्री ने वित्त विधेयक में 39 संशोधनों का प्रस्ताव रखा था जिन्हें लोकसभा ने ध्वनि मत से मंजूरी दे दी।

इनमें क्रिप्टो करेंसी पर टैक्सेशन को लेकर नियम सख्त करने से संबंधित संशोधन भी शामिल है। वित्त वर्ष 2022-23 के बजट ने क्रिप्टो करेंसी से कमाई पर टैक्स की स्थिति स्पष्ट करने की कोशिश की है। 1 अप्रैल, 2022 से क्रिप्टोकरेंसी की लेनदेन से होने वाली आय पर 30 प्रतिशत की दर से आयकर लगने के अलावा उपकर एवं अधिभार भी लगाए जाएंगे। साल भर में 10 हजार रुपये से अधिक डिजिटल मुद्रा के भुगतान पर 1 फीसदी की दर से टीडीएस लगाने का भी प्रस्ताव रखा गया है। टीडीएस का प्रावधान एक जुलाई, 2022 से लागू होगा जबकि लाभ पर कर एक अप्रैल, 2022 से ही लागू होगा।

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