नई दिल्ली: देश में खुदरा महंगाई 6.01 फीसदी पर पहुंच गई है। यह छह माह में खुदरा महंगाई का सबसे उच्चतम स्तर है। खुदरा महंगाई के स्तर को फल और सब्जियों के दामों का असर माना जा रहा है। साथ ही कच्चे तेल के दाम भी तेजी से बढ़ रहे हैं और इस कारण भी मुद्रास्फीति पर असर देखा जा रहा है। इससे पहले दिसंबर में मुद्रास्फीति 5.59 फीसदी रही थी। जबकि नवंबर 2021 में यह 4.91 फीसदी थी। अगर जनवरी 2022 की खुदरा महंगाई की बात करें तो यह पिछले साल इसी अवधि से करीब दो फीसदी ज्यादा है। जनवरी 2021 में खुदरा महंगाई 4.06 प्रतिशत थी।
जनवरी 2022 से पहले महंगाई जुलाई 2021 में 6.60 फीसदी के रिकॉर्ड स्तर पर थी। लेकिन इसके बाद इसमें गिरावट आई थी। लेकिन सितंबर 2021 में 4.35 प्रतिशत तक नरम पड़ गई थी। हालांकि त्योहारी सीजन में आखिरी महीनों में इसने फिर तेजी पकड़ी और अब यह फिर से 6.01 फीसदी पर जा पहुंची है।
रिजर्व बैंक ने भी महंगाई के छह फीसदी के आसपास रहने का अनुमान लगाया था।
खुदरा महंगाई दिसंबर 2021 में आरबीआई के मुताबिक उपभोक्ता मूल्य सूचकांक 5.59 प्रतिशत रहा था। आरबीआई ने महंगाई को 6 फीसदी का उच्चतम स्तर तय कर रखा है। हालांकि आरबीआई (आरबीआई) गवर्नर ने कहा है कि अभी किसी भी प्रकार की घबराहट की जरूरत नहीं है।
आरबीआई गवर्नर ने कहा है कि अगर आप अक्टूबर के बाद महंगाई के ट्रेंड को देखें तो यह नीचे की ओर जाता है। यह कुछ सांख्यिकी कारणों बेस इफेक्ट आदि की वजहों से है. तीसरी तिमाही में ज्यादा मुद्रास्फीति का भी प्रभाव है। उधर, यूक्रेन मुद्दे पर अमेरिका अगुवाई के साथ यूरोप और रूस के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। अमेरिका का कहना है कि रूस कभी भी यूक्रेन पर हमला कर सकता है। इस वैश्विक तनाव के बीच क्रूड ऑयल 100 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया है। हालांकि भारत में लंबे समय से पेट्रोल और डीजल के दामों में बढ़ोतरी नहीं की गई है।
विश्लेषकों का कहना है कि महंगाई में इसी तरह बढ़ोतरी का दौर जारी रहता है तो रिजर्व बैंक को ब्याज दरों में बढ़ोतरी की ओर रुख करना पड़ सकता है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) हर माह खुदरा और थोक महंगाई के आंकड़े जारी करता है।