ताज़ा खबरें
महाराष्ट्र के नतीजे पर उद्धव बोले- 'यह सिर्फ एक लहर नहीं, सुनामी थी'
संसद में वायनाड के लोगों की आवाज बनूंगी: चुनाव नतीजे के बाद प्रियंका
झारखंड में 'इंडिया' गठबंधन को मिला बहुमत, जेएमएम ने 34 सीटें जीतीं
पंजाब उपचुनाव: तीन सीटों पर आप और एक पर कांग्रेस ने की जीत दर्ज

लंदन: फंसे कर्ज की समस्या से पार पा लेने का भरोसा जताते हुए रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने शुक्रवार को कहा कि भारत में ‘लेहमेन ब्रदर्स की तरह किसी बैंक के ढहने की गुंजाइश’ नहीं है और घरेलू अर्थव्यवस्था को बाहरी दबावों से बचाने के लिए तीन स्तरीय सुरक्षा घेरा बनाया जा रहा है। इसके साथ ही राजन ने सार्वजनिक बैंकों के तत्काल निजीकरण की सभी मांगों को खारिज कर दिया और कहा कि उनके बैलेंस शीट को साफ किए जाने की जरूरत है क्योंकि अगर बैलेंस शीट सही साफ नहीं हुई तो कोई भी निजी निवेशक आगे नहीं आएगा। नीतिगत ब्याज दरों में कटौती को लेकर कुछ ज्यादा ही ‘सावधानी’ बरतने के लिए आलोचना का सामना करने वाले राजन ने संकेत दिया है कि वृद्धि को बल देने के लिए दरों में कटौती ही एक मात्र उपाय नहीं है। यहां सीएनबीसी न्यूज चैनल को दिये एक साक्षात्कार में राजन ने कहा, 'मेरी राय में अर्थव्यवस्था के लिए सुरक्षा दीवार बनाने के लिए हम जो वास्तविक प्रयास कर रहे हैं उनमें पहला अच्छी नीतियों के साथ सुधार जो हमने हाल ही में लागू किए हैं। दूसरा हमारे ऋण की परिपक्वता को बढ़ाने की कोशिश है। हमने अपने ऋण, बाह्य ऋण की परिपक्वता काफी बढ़ाई है। तीसरा अपने आरक्षित भंडार बनाया है।’

भारत में फंसे कर्ज या खराब ऋण की समस्या का आकार न्यूजीलैंड की 170 अरब डालर की अर्थव्यवस्था से भी बड़ा है और क्या किसी तरह के बैंकिंग संकट का जोखिम है, यह पूछे जाने पर राजन ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि यह इतना बड़ा है। दूसरा अधिकांश फंसा हुआ कर्ज या खराब आस्तियां सार्वजनिक क्षेत्र बैंकों में हैं और सरकार ने उनकी पूरी गारंटी दी हुई है।’

  • देश
  • प्रदेश
  • आलेख