नई दिल्ली: संकट में फंसे उद्योगपति विजय माल्या ने गुरुवार को उच्चतम न्यायालय में कहा कि बैंकों को उनकी विदेशों में चल और अचल संपत्तियों के बारे में सूचना पाने का कोई अधिकार नहीं है, क्योंकि वह 1988 से ही एनआरआई हैं। माल्या की ओर से दायर हलफनामे में कहा गया है, ‘संपत्तियों का ब्योरा सिर्फ भारत में संपत्तियों तक सीमित रहना चाहिए और प्रवासी भारतीय के रूप में विदेशी संपत्तियों की सूचना देने की जरूरत नहीं है। यहां तक कि आयकर रिटर्न में आयकर अधिकारियों को भी इसकी जानकारी देने की जरूरत नहीं है।’ उद्योगपति ने दावा किया वह आयकर और विदेशी मुद्रा विनियमन उद्देश्य से 1988 से एनआरआई है। उच्चतम न्यायालय ने माल्या को निर्देश दिया है कि वह 21 अप्रैल तक देश विदेश में अपनी तथा अपने परिवार की संपत्तियों का खुलासा करें। साथ ही शीर्ष अदालत ने उनसे यह भी संकेत देने को कहा है कि वह कब उसके समक्ष पेश होंगे। हलफनामे में माल्या ने दावा किया एक एनआरआई के रूप में उन्हें विदेशी संपत्तियों का खुलासा करने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि साथ ही उनके तीन बच्चे और पत्नी सभी अमेरिकी नागरिक हैं और उन्हें भी विदेशी संपत्तियों का खुलासा करने की जरूरत नहीं है। ऋण देते समय विदेशी संपत्तियों पर विचार नहीं किया गया।
माल्या ने हालांकि कहा कि अपनी मंशा साथ ही कंपनियों की मंशा दिखाने के लिए शीर्ष अदालत में 1,591 करोड़ रुपये जमा कराए जा सकते हैं।