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हैदराबाद: कर्मचारी भविष्य निधि की योजना से धन निकालने के नियमों को सख्त किए जाने के खिलाफ कर्मचारियों के बढ़ते विरोध के मद्देनजर सरकार ने संबंधित अधिसूचना को रद्द कर दिया। इस फैसले से कुछ ही घंटे पहले सरकार की ओर से कहा गया था कि वह अधिसूचना के क्रियान्वयन को तीन महीने के लिये टाल रही है। केंद्रीय श्रम मंत्री बंदारू दत्तात्रेय ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि दस फरवरी 2016 को जारी अधिसूचना रदद कर दी गयी है। अब पुरानी व्यवस्था बनी रहेगी। उन्होंने कहा कि मैं ईपीफएओ के केंद्रीय न्यासी बोर्ड से इसकी पुष्टि कराऊंगा। इस मुद्दे पर कर्नाटक के सिले-सिलाये वस्त्र उद्योग के श्रमिक दो दिन से विरोध प्रदर्शन कर रहे थे जिसने आज हिंसक रूप ले लिया। श्रमिकों ने आज बेंगलुरू में कई बसों को आग लगा दी और एक थाने पर पथराव किया। संशोधित नियम को वापस लिए जाने के कारणों के बारे में बताते हुए दत्तात्रेय ने कहा कि इसका कारण ट्रेड यूनियनों का अनुरोध है। भविष्य निधि से निकासी नियमों को कड़ा करने का फैसला भी ट्रेड यूनियनों की राय से लिया गया था। अब जब ट्रेड यूनियन अनुरोध कर रहे हैं, तब हमने निर्णय को वापस ले लिया।

इससे पहले, नई दिल्ली में मंत्री ने कहा था, अधिसूचना (भविष्य निधि निकासी नियमों को सख्त बनाने से जुड़ी) लागू किए जाने का काम 31 जुलाई, 2016 तक के लिये टाला जा रहा है। हम संबद्ध पक्षों के साथ इस बारे में चर्चा करेंगे। दत्तात्रेय ने कहा कि कर्मचारियों तथा श्रमिकों को अधिसूचना रदद होने के मददेनजर कोई गलत धारणा रखने की जरूरत नहीं है। संशोधित नियम के तहत भविष्य निधि में नियोक्ताओं के योगदान की निकासी पर कर्मचारियों के 58 साल होने तक के लिये रोक लगायी गयी थी। मामले को ठंडा करने के इरादे से श्रम मंत्रालय ने यह भी कहा कि वह कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के पास जमा पूरी राशि को मकान खरीदने, गंभीर बीमारी, शादी तथा बच्चों की पेशेवर शिक्षा जैसे कार्यों के लिये अंशधारकों को निकालने की अनुमति देने पर विचार कर रहा है। मामले को मंजूरी के लिए कानून मंत्रालय के पास भेजा गया है। इस निर्णय के खिलाफ ऑनलाइन अभियान भी चलाया गया। इसे 10 फरवरी से लागू किया जाना था लेकिन विरोध को देखते हुए इसे 30 अप्रैल तक टाल दिया गया। प्रदर्शनकारियों ने बेंगलुर में हेब्बगोदी पुलिस स्टेशन पर पथराव किया और वहां खड़े वाहनों में आग लगा दी। इस प्रदर्शन का नेतृत्व किसी ट्रेड यूनियन द्वारा नहीं किया जा रहा था। पुलिस ने कहा कि उन्हें उग्र प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिये लाठीचार्ज करना पड़ा। कर्नाटक राज्य सड़क परिवहन निगम की कम-से-कम दो बसों तथा बेंगलुर मेट्रोपालिटन ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन की एक बस को भी आग लगा दी गई। शहर के दूसरे हिस्सों में भी पथराव की घटना की खबर है। प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों को समक्षाते हुए केंद्रीय मंत्री तथा बेंगलुर के सांसद अनंत कुमार ने कहा कि असंगठित तथा कपड़ा कर्मचारियों के अधिकारों को बनाए रखा जाएगा और उन्होंने प्रदर्शन वापस लेने का अनुरोध किया। शहर के पुलिस आयुक्त एन एस मेघारिख ने कहा कि स्थिति अब नियंत्रण में हैं लेकिन शहर के बाहरी भागों में कुछ मामले सामने आए हैं। पुलिस ने कहा कि कपड़ा कर्मचारियों के साथ दूसरे कर्मचारी भी जुड़ गए। शहर के पुलिस प्रमुख के अनुसार बेंगलुर में कपड़ा फैक्टरी में काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या करीब 12 लाख है। ईपीएफ कानून में संशोधन का विरोध कर रहे कर्मचारियों ने आशंका जतायी है कि नये नियम से भविष्य निधि में नियोक्ताओं के योगदान के उपर उनका अधिकार उनकी आयु 58 साल पूरे होने तक नहीं रह जाएगा। फरवरी में मंत्रालय ने अधिसूचना जारी कर अंशधारकों के दो महीने से अधिक बेरोजगार होने पर भविष्य निधि से 100 प्रतिशत निकासी पर प्रतिबंध लगा दिया था।

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