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नई दिल्ली: पूंजी बाजार नियामक सेबी के वकील अरविंद दातर ने कहा कि सहारा समूह की संपत्ति की बिक्री एक बड़ी मेहनत का काम होगा। विजय माल्या के किंगफिशर हाऊस इमारत की नीलामी के लिए बोलीदाताओं ने रुचि नहीं दिखाई। सहारा प्रमुख सुब्रत राय की रिहाई के लिए जमानत राशि जुटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सेबी से सहारा समूह की 87 संपत्ति की बिक्री की प्रक्रिया शुरू करने को कहा, जिसके मालिकाना हक के कागज नियामक के पास हैं। सहारा समूह के साथ कानूनी लड़ाई में सेबी के वकील रहे दातर ने कहा कि संपत्ति की बिक्री बड़ी मेहनत वाला काम होगा। उन्होंने कहा,'..कई संपत्ति है, जिसका मूल्य करीब 40,000 करोड़ रुपये है। अब हमें उसके मालिकाना हक की जांच करनी होगी... और यह सब बड़ी मेहनत का काम है।' इस सवाल का जवाब देते हुए कि क्या संपत्ति बिक्री के लिए कोई समयसीमा है, दातर ने कहा कि उन्हें वास्तव में पता नहीं है। दातर 'सहारा बनाम सेबी' मामले में अपने व्याख्यान के बाद श्रोताओं के साथ बातचीत कर रहे थे।

उन्होंने कहा, 'उदाहरण के लिए माल्या की किंगफिशर इमारत को नहीं बेचा जा सका... मैंने सुझाव दिया है कि मूल्यांकन के लिए मत जाइए, जो भी सर्किल रेट है और अगर मुझे 90 प्रतिशत तक की पेशकश मिलती है, मुझे संपत्ति बेचने की आजादी है जो न्यायाधीश की मंजूरी पर निर्भर है। न ही इसके लिए कोई समयसीमा रखी जाए।' गौरतलब है कि विजय माल्या तथा उनके समूह की कंपनियों पर 9,000 करोड़ रुपये से अधिक के बकाये की वसूली के लिए बैंकों ने हाल में किंगफिशर हाउस को नीलामी के लिये रखा लेकिन कोई बोलीदाता नहीं आया। अब बैंक उस संपत्ति को बेचने के लिए नए सिरे से काम कर रहे हैं।

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