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'हाईकोर्ट के आदेश तक ट्रायल कोर्ट कोई कार्रवाई न करे': सुप्रीम कोर्ट

वाशिंगटन: दुनिया का सबसे खूंखार आतंकी आयमान अल जवाहिरी पाकिस्तान के कराची शहर में छुपा है। इतना ही नहीं पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई उसकी सुरक्षा में लगी है। अमेरिकी साप्ताहिक न्यूजवीक ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि वर्ष 2001 में अमेरिकी सुरक्षाबलों ने अलकायदा को अफगानिस्तान से खदेड़ा तो अलकायदा प्रमुख जवाहिरी ने पाकिस्तान में शरण ले ली। मैग्जीन से बातचीत में आतंकी गुट के एक नेता ने बताया कि ‘ब्लैक लेग’ के इशारे पर जवाहिरी पाकिस्तान भागा था। ब्लैक लेग आईएसआई का अफगान तालिबान कोड है। ‘न्यूजवीक’ के मुताबिक, आज उसका संभावित ठिकाना कराची है जो अरब सागर के किनारे बसा शहर है, जिसकी आबादी 2.6 करोड़ है। पिछले कई सालों में ऐसा पहली बार हुआ है कि अल-कायदा प्रमुख के छुपने के ठिकाने के बारे में कोई खबरिया रिपोर्ट आई हैं। ओसामा बिन लादेन के खात्मे के बाद जवाहिरी उसका उत्तराधिकारी बन गया था।

वाशिंगटन: अमेरिकी सेना ने दवा किया कि अफगानिस्तान के उत्तरी शहर मजार-ए-शरीफ के पास सेना के एक अड्डे पर कल तालिबान के हमले में 140 से ज्यादा अफगान जवान मारे गये। अफगानिस्तान के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि हमले के समय हमारे अधिकतर सैनिक शुक्रवार की नमाज पढ़ रहे थे। इससे पहले अफगान सेना के 140 से ज्यादा सैनिक हताहत हुए हैं। अमेरिकी सेना के प्रवक्ता कर्नल जोन थामस ने बताया कि हमला कई घंटे तक चला और शाम को रुका। इस हमले में 50 के करीब अफागानी सैनिक मारे गये। उन्होंने कहा कि अभी यह स्पष्ट तौर पर नहीं कहा जा सकता कि अमेरिकी नेतृत्व वाली गठबंधन सेना हमले के स्थान से कितनी दूर थी। दूसरी तरफ अफगानिस्तान सेना के प्रवक्ता अहमद जाविद सलीम की मानें तो 20 सैनिकों की मौत हो गई है और 31 घायल हैं। वहीं न्ययूॉर्क टाइम्स के मुताबिक मरने वाले जवानों की संख्या 66 पहुंच गई है, जबकि 74 सैनिक घायल हैं। पाक सेना प्रमुख ने 30 खूंखार आतंकवादियों की मौत की सजा की पुष्टि की अफगान सेना के प्रवक्ता नसरतुल्ला जमशीदी ने बताया कि कि यह हमला सैन्य ठिकाने में स्थित मस्जिद के नजदीक हुआ। उस वक्त सैनिक शुक्रवार की नमाज अदा कर रहे थे। उन्होंने बताया कि दो सैन्य वाहनों में तालिबान के छह हमलावर अफगानी सेना की वर्दी में आए थे। इन हमलावरों ने गेट पर तैनात प्रहरियों से कहा कि वाहनों में घायल सैनिक हैं और उन्हें तुरंत अंदर पहुंचाया जाना जरूरी है इसलिए वे तुरंत गेट खोल दें। जमशीदी ने बताया कि इसके बाद तालिबान हमलावरों ने रॉकेल प्रोपेल्ड ग्रेनेड्स और बंदूकों से अफगान सैनिकों पर हमला बोल दिया।

बीजिंग: चीन ने शुक्रवार (21 अप्रैल) को कहा कि अरुणाचल प्रदेश के छह स्थानों को मानकीकृत आधिकारिक नाम देना उसका ‘कानूनी अधिकार’ है। भारत के अरुणाचल प्रदेश को अपना अभिन्न अंग बताने वाले बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लु कांग ने यहां कहा, ‘भारत-चीन सीमा के पूर्वी हिस्से पर चीन की स्थिति स्पष्ट और एक समान है।’ उन्होंने कहा, ‘जातीय मोमबा और तिब्बती चीनियों द्वारा प्रासंगिक नामों का इस्तेमाल किया जाता रहा है जो यहां पीढ़ियों से रहते हैं. यह एक तथ्य है जिसे बदला नहीं जा सकता है। इन नामों को मानकीकृत करना और उनका प्रसार करना हमारे कानूनी अधिकार पर आधारित सही तरीका है।’ लु ने भारत के इस आरोप का भी विरोध किया कि चीन क्षेत्र पर अपने क्षेत्रीय दावे को वैध करने के लिए नामों को गढ़ रहा है। इससे पहले चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश में छह स्थानों का नाम बदलने पर आपत्ति जताते हुए भारत ने गुरुवार (20 अप्रैल) को कहा था कि पड़ोसी देश के स्थानों का नाम बदल देने से अवैध कब्जा वैध नहीं हो जाता है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले ने इस मुद्दे पर कहा था कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है। उन्होंने कहा, ‘पड़ोसी देश के स्थानों का नाम बदलने से अवैध कब्जा वैध नहीं बन जाता है। अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है और रहेगा।’

बीजिंग: चीन के सरकारी मीडिया ने बीजिंग द्वारा अरुणाचल प्रदेश के छह स्थानों का नाम रखने पर भारत की प्रतिक्रिया को बेतुका कहकर खारिज करते हुए चेताया है कि अगर भारत ने दलाई लामा का तुच्छ खेल खेलना जारी रखा तो उसे बहुत भारी कीमत चुकानी होगी। सरकारी ग्लोबल टाइम्स में प्रकाशित एक लेख में इन आरोपों को बेतुकी टिप्पणी करार दिया गया है कि चीन के लिए यह मुर्खतापूर्ण है कि वह विभिन्न काउंटियों के नाम नहीं रख पाया है जबकि उन्हें अरुणाचल प्रदेश के छह स्थानों पर गढ़ रहा है। भारत खेल रहा है दलाई कार्ड, चीन के साथ क्षेत्रीय विवाद बदतर हुआ शीर्षक से छपे लेख में कहा गया है कि भारत को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए कि क्यों चीन ने इस बार दक्षिण तिब्बत में मानकीकत नामों का ऐलान किया। दैनिक कहता है कि दलाई लामा का कार्ड खेलना नई दिल्ली के लिए कभी भी अक्लमंदी भरा चयन नहीं रहा है। दैनिक ने कहा है, अगर भारत यह तुच्छ खेल जारी रखना चाहता है तो यह इसके लिए सिर्फ भारी कीमत चुकाने के साथ ही खत्म होगा। उसमें कहा गया है, दक्षिण तिब्बत ऐतिहासिक रूप से चीन का हिस्सा रहा है और वहां के नाम स्थानीय जातीय संस्कृति का हिस्सा हैं। चीनी सरकार के लिए स्थानों के मानकीकत नाम रखना जायज है। चीन दावा करता है कि अरुणाचल प्रदेश दक्षिण तिब्बत है। चीन ने 19 अप्रैल को ऐलान किया था कि उसने भारत के पूर्वोत्तरी राज्य के छह स्थानों को आधिकारिक नाम दिया है और उकसावे वाले कदम को वैध कार्रवाई करार दिया था।

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