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बीजिंग: सिक्किम सेक्टर में सड़क निर्माण को लेकर पैदा हुए गतिरोध के बीच चीन ने भारत को चेताया कि नाथूला दर्रे से कैलाश मानसरोवर श्रद्धालुओं की यात्रा का भविष्य नई दिल्ली के अपनी गलतियों को सुधारने पर निर्भर करता है । बीजिंग ने सिक्किम सेक्टर में सड़क के निर्माण को वैध करार दिया और इस बात पर जोर दिया कि यह निर्माण चीन के उस इलाके में किया जा रहा है जो न तो भारत का है और न ही भूटान का और किसी अन्य देश को इसमें हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है। चीन ने इशारा किया कि भारत भूटान की ओर से सिक्किम क्षेत्र के दोंगलांग में सड़क निर्माण के प्रयासों का विरोध कर रहा है जिसका चीन के साथ कोई राजनयिक संबंध नहीं है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लु कांग ने यहां मीडिया से कहा ,दोंगलांग चीनी क्षेत्र में आता है। इसको लेकर कोई विवाद नहीं है। दोंगलांग क्षेत्र प्राचीन काल से चीन का हिस्सा है भूटान का नहीं। एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा, भारत इस क्षेत्र के साथ मुद्दा उठाना चाहता है। मेरा कहना है कि यह भूटान का हिस्सा नहीं है, और न ही यह भारत का हिस्सा है। तो हमारे पास इसके लिए पूरा कानूनी आधार है। चीन की सड़क निर्माण परियोजना वैध है और उसके क्षेत्र के भीतर यह सामान्य गतिविधि है। किसी भी देश को इसमें हस्तक्षेप का अधिकार नहीं है। चीन के सरकारी समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स ने कहा कि सभी जरूरी माध्यमों से भारतीय सैनिकों के पीछे हटवाना चाहिए तथा नियमों के बारे में सिखाया जाना चाहिए।

बीजिंग: चीन की नौसेना ने आज नयी पीढ़ी के विध्वंसक पोत का जलावतरण किया। इसका वजन 10,000 टन है। नौसेना के नए विध्वंसक का शंघाई स्थित जियांगनान शिपयार्ड पर जलावतरण किया गया। इसे घरेलू रूप से विनिर्मित किया गया है। सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार यह चीन की नयी पीढ़ी का पहला विध्वंसक है। यह नयी वायु रक्षा प्रणाली, मिसाइल भेदी और पनडुब्बी भेदी क्षमता से लैस है।पूरी तरह सशस्त्र होने पर 10,000 टन से भी ज़्यादा वज़न वाला विशालकाय टाइप 055 युद्धपोत भारत के उस ताजातरीन प्रोजेक्ट - 15बी 'विशाखापट्टनम' क्लास युद्धपोत - से कहीं ज़्यादा बड़ा और शक्तिशाली है, जिसे अभी तक भारतीय सेना में शामिल भी नहीं किया गया है. भारत के अत्याधुनिक युद्धपोतों का वज़न भी पूरी तरह सशस्त्र कर दिए जाने पर 8,200 टन रहने वाला है, और उन्हें सतह से हवा में मार कर सकने वाली, एन्टी-शिप तथा लैंड अटैक करने में सक्षम कुल मिलाकर 50 मिसाइलों से लैस किया जा सकेगा. दूसरी ओर, चीन के इस विशाल युद्धपोत पर कुल मिलाकर लगभग 120 मिसाइलें तैनात की जा सकेंगी, जिनकी वजह से यह दुनिया के सबसे ज़्यादा सशस्त्र युद्धपोतों में से एक बन जाता है। 

वाशिंगटन: अमेरिका के उर्जा मंत्री रिक पेरी ने कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की व्हाइट हाउस में पहली मुलाकात ने दुनियाभर में एक स्पष्ट संदेश दिया है कि भारत और अमेरिका के बीच काफी करीबी संबंध चल रहे हैं। पेरी ने व्हाइट हाउस संवाददाता सम्मेलन में पत्रकारों से कहा, कल की एक तस्वीर मुझे लगता है कि काफी विचारशील है। और वह दोनों नेताओं (ट्रंप और मोदी) का एक-दूसरे से गले लगना है। मुझे लगता है कि वह दुनिया को स्पष्ट संकेत है कि अमेरिका और भारत के बीच करीबी संबंध चल रहे हैं। पेरी ने कहा इसमें उर्जा क्षेत्र बहुत, बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रहा है। पेरी एक दिन पहले ट्रंप द्वारा मोदी के सम्मान में व्हाइट हाउस में आयोजित रात्रि भोज में शामिल हुए थे। रात्रि भोज के बारे में बात करते हुए पेरी ने कहा कि उर्जा क्षेत्र में एलएनजी, स्वच्छ कोयला और परमाणु उर्जा सहयोग पर चर्चा की गई। व्हाइट हाउस में मौजूदा प्रशासन द्वारा किसी विदेशी नेता को दिए जाने वाला यह पहला रात्रि भोज था। पेरी ने एक सवाल के जवाब में कहा, कल रात रात्रि भोज पर हमने तीन क्षेत्रों के बारे में बात की । इसमें एलएनजी, साफ कोयला और तीसरा परमाणु सहयोग शामिल है। भारत और अमेरिका के लिए अच्छा मौका है मजबूत सहयोगी और साझेदार बनने का। उर्जा एक ऐसा जुड़ाव है जिससे लंबे समय तक साझेदारी बनी रहेगी।

संयुक्त राष्ट्र: ईरान ने अमेरिकी विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन पर देश की मौजूदा सरकार बदलने के लिए खुले तौर पर हस्तक्षेप करने वाली योजना बनाने का आरोप लगाया है और कहा है कि यह अंतरराष्ट्रीय कानून तथा संयुक्त राष्ट्र के चार्टर का उल्लंघन करती है। संयुक्त राष्ट्र में ईरान के राजदूत गोलामली खोशरू ने महासचिव एंतोनियो गुतारेस को पत्र लिखकर मंगलवार को कहा कि टिलरसन की टिप्पणी 1981 अल्जीयर्स समझौते का एक बड़ा उल्लंघन भी है जिसमें अमेरिका ने ईरान के आंतरिक मामलों, राजनीतिक या सैन्य मामलों में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर हस्तक्षेप ना करने का संकल्प लिया था। टिलरसन ने विदेश विभाग के बजट पर सुनवाई कर रही सदन की विदेश मामलों की समिति से 14 जून को कहा था कि अमेरिका की नीति ईरान को परमाणु हथियार बनाने से रोकने और ईरान के अंदर उन तत्वों का समर्थन करने की है जो सरकार के शांतिपूर्ण हस्तांतरण में सहायक होंगे।

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