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नई दिल्ली: ब्रिटेन की फार्मा कंपनी एस्ट्राज़ेनेका की कोरोना वैक्सीन से दुष्प्रभाव को लेकर दुनियाभर में मचे बवाल के बाद कंपनी ने अपनी कोरोना वैक्सीन को वैश्विक स्तर पर वापस लेने की पहल की है। ब्रिटिश दवा कंपनी ने स्वीकार किया था कि उनकी कोविशील्ड वैक्सीन के दुर्लभ प्रभाव हो सकते हैं। फार्मा कंपनी ने माना है कि उनकी कोविशील्ड वैक्सीन कई दुर्लभ मामलों में खून के थक्के जमने और प्लेटलेट काउंट कम होना का भी कारण हो सकती है। भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ने कोविशील्ड नाम से जो वैक्सीन बनाई थी, वह एस्ट्राजेनेका का ही फॉर्मूला है।

द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, वैक्सीन निर्माता कंपनी की दलील है कि कमर्शियल वजहों से दुनिया भर में इसकी वापसी शुरू की गई। फार्मा कंपनी का कहना है कि कोरोना के लिए मौजूद वैक्सीन की अधिकता की वजह से उन्होंने इसे वापस लेने का फैसला किया। एस्ट्राज़ेनेका ने कहा कि अपडेटेड वैक्सीन लगाई जा रही है, जो नए वेरिएंट से निपटने में सक्षम है।

एस्ट्राज़ेनेका ने अपनी मर्जी से यूरोपीय संघ में अपना "मार्केटिंग ऑथराइजेशन" वापस ले लिया।

दोहा: हमास प्रमुख इस्माइल हानियेह ने रविवार को इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू पर आरोप लगाया कि वह गाजा में संघर्ष विराम और बंधकों की अदला-बदली के मकसद से चल रही वार्ता में शामिल मध्यस्थों के प्रयासों को नुकसान पहुंचा रहे हैं।

कतर में रह रहे हानियेह ने कहा कि नेतन्याहू संघर्ष के चक्र का विस्तार करना चाहते हैं और और विभिन्न मध्यस्थयों और पक्षों के जरिए किए गए प्रयासों को नाकाम करना चाहते हैं। कतर, मिस्र और अमेरिका के मध्यस्थों ने बीते सात महीने से गाजा में चल रहे भीषण युद्ध को रोकने के लिए शनिवार को काहिरा में हमास के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की। वार्ता से जुड़े हमास के एक वरिष्ठ सूत्र ने मीडिया को बताया कि रविवार को वार्ता का नया दौर शुरू होगा।

वार्ताकारों ने युद्ध को रोकने के लिए शुरुआत में चालीस दिनों का संघर्ष विराम और फलस्तीनी कैदियों व इस्राइली बंधकों के आदान-प्रदान का प्रस्ताव दिया है। हानियेह ने कहा कि हमास ने गंभीरता और सकारात्मकता के साथ वार्ता की थी। लेकिन उन्होंने सवाल किया कि अगर संघर्ष विरमा नहीं होता है तो समझौते का मतलब क्या है।

भुवनेश्वर: भारत उन तीन भारतीय लोगों के बारे में जानकारी साझा करने के लिए कनाडाई पुलिस का इंतजार करेगा। जिन्हें उसने पिछले साल एक खालिस्तानी आतंकवादी की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया है। भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शनिवार को यह बयान दिया। एस. जयशंकर ने कहा कि खालिस्तानी अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मुद्दे पर कनाडा में जो कुछ भी हो रहा है, वो ज्यादातर वहां की आंतरिक राजनीति के कारण है और इसका भारत से कोई लेना-देना नहीं है। कनाडाई पुलिस ने हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले में शुक्रवार को कहा कि वे जांच कर रहे हैं कि क्या संदिग्धों के भारत सरकार से संबंध थे?

मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, एस. जयशंकर ने कहा कि उन्होंने गिरफ़्तारियों की ख़बरें देखी हैं और कहा कि संदिग्ध "स्पष्ट रूप से किसी प्रकार की गिरोह पृष्ठभूमि के भारतीय हैं... हमें पुलिस के बताने का इंतज़ार करना होगा। लेकिन, जैसा कि मैंने कहा, हमारी एक चिंता जो हम उन्हें बता रहे हैं... वह यह है कि आप जानते हैं, उन्होंने भारत से, विशेष रूप से पंजाब से, संगठित अपराध को कनाडा में संचालित करने की अनुमति दी है।"

ओटावा: कनाडा पुलिस ने खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या मामले में शुक्रवार को तीन संदिग्धों को गिरफ्तार कर लिया। तीनों गिरफ्तार भारतीय नागरिक बताए जा रहे हैं। उनके नाम करण बरार (22), कमलप्रीत सिंह (22), करणप्रीत सिंह (28) हैं। ये तीनों करीब 3 से 5 साल से एडमॉन्टन, अल्बर्टा में रह रहे थे। ये जानकारी आरसीएमपी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए दी।

कनाडा पुलिस का कहना है कि उन पर फर्स्ट डिग्री हत्या और हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया गया है। पुलिस ने कहा कि इस मामले की जांच के शुरू होने से पहले पुलिस को इन लोगों के बारे में नहीं पता था।

भारत पर फिर मढ़ा आरोप

कनाडा पुलिस का कहना है कि वह अब तीनों संदिग्धों की भारत सरकार से संभावित संबंधों की जांच कर रही है, हालांकि उन्होंने कोई और विवरण नहीं दिया। जांच कर रही टीम का कहना है कि कनाडा के रिश्ते भारत के साथ कई सालों "काफी कठिन और चुनौतीपूर्ण" रहे हैं।

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