नई दिल्ली: भारत ने ऊर्जा का भरपूर लाभ उठा चुके विकसित देशों से अपील की है कि वह अब इसका उत्सर्जन कम कर दें ताकि विकासशील देश भी कार्बन ऊर्जा का लाभ ले सकें। भारत के प्रतिनिधि पीयूष गोयल ने कहा कि स्कॉटलैंड में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (सीओपी26) में देश विकासशील देशों की आवाज उठाने का काम करेंगे, क्योंकि आगामी पीढ़ी के लिए ग्रह को जलवायु परिवर्तन से बचाने के लिए कई तरह के कदम उठाए गए हैं।
उन्होंने कहा कि जिन विकसित राष्ट्रों ने ऊर्जा का भरपूर लाभ उठाया है, अब उन्हें तेजी से इसके उत्सर्जन में कटौती करने की आवश्यकता है, ताकि विकासशील देश भी विकसित होने के लिए कार्बन ऊर्जा का उपयोग कर सकें। वर्तमान में स्वच्छ ऊर्जा को अवशोषित करने के लिए पर्याप्त तकनीक नहीं है। इसलिए कार्बन ऊर्जा के इस्तेमाल पर पूरी तरह रोक लगाने से पहले हमें तकनीक और नए संसाधनों पर अधिक काम करने की जरूरत है।
गोयल ने कहा कि भारत ने विकासशील देशों के हितों की रक्षा के लिए जोर दिया है।
पहली बार, जी20 ने जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण सहायक के रूप में टिकाऊ और जिम्मेदार मुद्दों की पहचना की है।
बता दें कि इससे पहले शिखर सम्मेलन के अध्यक्ष आलोक शर्मा ने कहा था कि ग्लोबल वार्मिंग को 1.5सी तक सीमित रखने के लिए "अंतिम और सबसे अच्छी उम्मीद" सीओपी26 जलवायु सम्मेलन ही है। उद्घाटन समारोह में उन्होंने कहा कि हम जानते हैं कि हमारे ग्रह पर स्थिति बदतर होती जा रही है। हम अभी से प्रयास करेंगे तो अपने बहुमूल्य ग्रह को बचा सकते हैं।
गौरतलब है कि ग्लासगो में चल रहा सम्मेलन 12 नवंबर तक चलेगा। इसमें दुनिया भर में बदलते मौसम की घटनाओं और 150 वर्षों के जीवाश्म ईंधन के जलने से जलवायु परिवर्तन के विनाशकारी प्रभावों को लेकर कई मुद्दों पर चर्चा होगी। कई देश के प्रतिनिधि इसमें हिस्सा ले रहे हैं।
बैठक में लगभग 200 देशों के वार्ताकार 2015 के पेरिस जलवायु समझौते के बाद से लंबित मुद्दों पर चर्चा करेंगे और इस सदी में वैश्विक तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस (2.7 फ़ारेनहाइट) से अधिक होने से रोकने के प्रयासों को तेज करने के तरीके खोजेंगे।