वाशिंगटन: अमेरिका को अपने महत्त्वपूर्ण इन्फ्रास्ट्रक्चर पर साइबर हमलों का अंदेशा है। इसे देखते हुए जो बाइडन प्रशासन ने साइबर सुरक्षा मजबूत करने के आदेश दिए हैं। प्रशासन को आशंका है कि अमेरिका की गैस पाइपलाइनों, बंदरगाहों और ऐसे दूसरी जरूरी सेवाओं पर चीन और रूस में बैठे हैकर हमला कर सकते हैं।
पिछले कुछ दिनों में बाइडन प्रशासन ने इस बारे में कई घोषणाएं की हैं। इसमें रेल और विमान सेवाओं के लिए साइबर सुरक्षा के नए नियमों का एलान शामिल है। इसके पहले प्रशासन ने गैस पाइपलाइन कंपनियों के लिए साइबर सुरक्षा के नए नियमों को जारी किया था। एयरलाइन, रेलवे और पाइपलाइन सेक्टर में काम कर रही कंपनियों से कहा गया है कि वे साइबर सुरक्षा के अपने ढांचे को और चुस्त बनाएं।
व्हाइट हाउस ने पिछले हफ्ते कहा था कि वह महत्वपूर्ण इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टरों की साइबर सुरक्षा के लिए वह अतिरिक्त कार्ययोजना बना रहा है। इसके पहले देश के बिजली ग्रिड की साइबर सुरक्षा को मजबूत बनाने के उपायों का एलान किया गया था।
एक वरिष्ठ रक्षा अधिकारी ने इस संबंध में टीवी चैनल सीएनएन से कहा कि सेना, परिवहन और ऊर्जा क्षेत्र अमेरिका की प्राथमिकता हैं।
अमेरिका की रक्षा उप मंत्री कैथलीन हिक्स ने सीएनएन से कहा- ‘भविष्य में हम सैनिक अभियान कैसे चला पाएंगे, उसका संबंध इन क्षेत्रों की सुरक्षा से है। हमारी राय है कि जब चीन या रूस सैनिक कार्रवाई की सोचेंगे, तो वे इन क्षेत्रों को निशाना बनाएंगे।’ हिक्स ने कहा कि चीन और रूस अमेरिकी रक्षा मंत्रालय की निगाह में सबसे बड़ी चिंता हैं, क्योंकि उनके पास साइबर हमला करने की बड़ी क्षमता है। उसके बाद ईरान और दूसरे देशों का नंबर आता है।
हाल में अमेरिका पर कई साइबर हमले हुए हैं। उनमें मई में कोलोनियल पाइपलाइन पर हुआ हमला भी शामिल है, जिससे अमेरिका के पूर्वी इलाकों में कई दिनों तक गैस सप्लाई रुकी रही थी। उसके पहले फरवरी में फ्लोरिडा राज्य के वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट पर साइबर हमला हुआ था। उस हमले के जरिए पानी में जहरीले केमिकल्स की मात्रा काफी बढ़ा दी गई। पर्यवेक्षकों के मुताबिक इन हमलों ने अमेरिका में चिंता काफी बढ़ा दी है। उनसे ये जाहिर हुआ है कि ऐसे हमलों से किस हद तक नुकसान पहुंच सकता है।
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक अमेरिका गृह मंत्रालय प्राइवेट कंपनियों के साथ मिल कर साइबर सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने की कोशिश में है। पेंटागन (रक्षा मंत्रालय) के अधिकारी रक्षा से जुड़े उद्योगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में जुटे हुए हैं। इन अधिकारियों ने कहा है कि साइबर क्षेत्र भविष्य में युद्ध का नया मोर्चा होगा। विश्लेषकों का कहना है कि रक्षा मंत्रालय का ध्यान हाल तक परंपरागत युद्ध पर ही केंद्रित रहा। लेकिन साइबर सुरक्षा अब उसकी एक बड़ी चिंता बन गई है।
अमेरिका के साइबर सुरक्षा अधिकारियों की पहली चिंता रूस रहा है। राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी के साइबर सिक्युरिटी निदेशालय के प्रमुख रॉब जॉयस ने पिछले हफ्ते एक कांफ्रेंस में कहा कि अमेरिका महत्वपूर्ण इन्फ्रास्ट्रक्चर को अस्त-व्यस्त करने की रूसी कोशिशों से अमेरिकी अधिकारी लंबे समय से चिंतित हैं। उन्होंने कहा- ‘हमने दुनिया भर में रूसी हैकरों की ऐसी कोशिशें देखी हैं। अमेरिका के अहम इन्फ्रास्ट्रक्चर के खिलाफ उनकी ऐसी तैयारियों के हमारे पास सबूत हैं।’ जॉयस ने कहा कि ऐसी चीजों को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता और अमेरिका को उनका मुकाबला करना होगा।