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काबुल: पिछले महीने अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज होने के बाद मंगलवार को तालिबान ने अपनी नई सरकार के लिए प्रमुख पदों की घोषणा कर दी। मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद को नई सरकार का नेता बनाया गया है जिन्हें संयुक्त राष्ट्र ने प्रतिबंध सूची में रखा हुआ है। वहीं तालिबान के सह-संस्थापक अब्दुल गनी बरादर उनके डिप्टी होंगे। तालिबान के आंतरिक कामकाज और नेतृत्व लंबे समय से गोपनीय रहे हैं- तब भी जब उन्होंने 1996 से 2001 तक अफगानिस्तान पर शासन किया था। हालांकि अभी भी कई कैबिनेट पदों की घोषणा बाकी है। लेकिन जिन नामों की घोषणा हो चुकी है, आख‍िर वो हैं कौन..

मोहम्मद हसन अखुंद, कार्यवाहक प्रधान मंत्री
मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद तालिबान के एक दिग्गज हैं, जो संगठन के संस्थापक और इसके पहले सर्वोच्च नेता मुल्ला उमर के करीबी सहयोगी और राजनीतिक सलाहकार थे।

समूह की सर्वोच्च परिषद के सदस्य अखुंद ने तालिबान के पिछले शासन में उप विदेश मंत्री के रूप में कार्य किया और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने उन्हें तालिबान के "कार्यों और गतिविधियों" से जुड़ी प्रतिबंध सूची में रखा। उन्होंने अफगानिस्तान के प्रमुख प्रांत कंधार के गवर्नर के रूप में भी कार्य किया। संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि अखुंद "सबसे प्रभावी तालिबान कमांडरों में से एक" हैं।

मुल्ला बरादार, सह-संस्थापक
अब्दुल गनी बरादर, जिन्हें हसन के डिप्टी के रूप में नामित किया गया है, का पालन-पोषण कंधार में हुआ था- जो कि तालिबान आंदोलन का जन्मस्थान भी रहा। अधिकांश अफ़गानों की तरह, बरादर का जीवन भी 1970 के दशक के अंत में देश पर सोवियत आक्रमण की वजह से हमेशा के लिए बदल गया, जिससे वह एक विद्रोही बन गए। माना जाता है कि उसने मुल्ला उमर के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़ाई लड़ी थी। दोनों ने 1990 के दशक की शुरुआत में सोवियत सेनाओं की वापसी के बाद गृहयुद्ध की अराजकता और भ्रष्टाचार के दौरान तालिबान आंदोलन की आधारश‍िला रखी थी। 2001 में अमेरिकी नेतृत्व वाली सेनाओं द्वारा तालिबान शासन को गिराए जाने के बाद, माना जाता है कि बरादर विद्रोहियों के एक छोटे समूह में शामिल थे, जिन्होंने संभावित सौदे के साथ अंतरिम नेता हामिद करजई से संपर्क किया था, जिससे आतंकवादी नए प्रशासन को मान्यता दे सकते थे। 2010 में पाकिस्तान में गिरफ्तार, बरादर को तब तक हिरासत में रखा गया, जब तक कि अमेरिका के दबाव ने उसे 2018 में रिहा नहीं कर दिया गया और कतर में स्थानांतरित कर दिया गया। यहीं पर उन्हें तालिबान के राजनीतिक कार्यालय का प्रमुख नियुक्त किया गया और अमेरिका के साथ सैन्य वापसी समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।

सिराजुद्दीन हक्कानी, हक्कानी नेटवर्क
सोवियत विरोधी जिहाद के एक प्रसिद्ध कमांडर के बेटे, सिराजुद्दीन हक्कानी का कद तालिबान के उप नेता और शक्तिशाली हक्कानी नेटवर्क के प्रमुख के रूप और ऊंचा हो गया है। वह नई सरकार में गृह मंत्री होंगे। हक्कानी नेटवर्क को अमेरिकी ने आतंकवादी समूह घोष‍ित कर रखा है, जिसे लंबे समय से अफगानिस्तान में सबसे खतरनाक आतंकवादी गुटों में से एक के रूप में देखा जाता रहा है। यह आत्मघाती हमलावरों के इस्तेमाल के लिए बदनाम है और माना जाता है कि इसने काबुल में पिछले कुछ वर्षों में सबसे हाई-प्रोफाइल हमलों में से कुछ को अंजाम दिया। हक्कानी नेटवर्क पर शीर्ष अफगान अधिकारियों की हत्या करने और फिरौती के लिए अपहृत पश्चिमी नागरिकों को पकड़ने का भी आरोप है- जिसमें अमेरिकी सैनिक बोवे बर्गडाहल भी शामिल है, जिसे 2014 में रिहा किया गया था। अपनी आजादी, युद्ध कौशल और सौदे करने में माहारत के लिए जाने जाने वाले हक्कानी मुख्य रूप से पूर्वी अफगानिस्तान में स्थित हैं और तालिबान की नेतृत्व परिषद पर काफी प्रभाव रखते हैं।

मुल्ला याकूब
तालिबान के सह-संस्थापक मुल्ला उमर के बेटे, मुल्ला याकूब समूह के शक्तिशाली सैन्य आयोग के प्रमुख हैं, जो विद्रोह को अंजाम देने के लिए जिम्मेदार फील्ड कमांडरों के विशाल नेटवर्क की देखरेख करता है। मंगलवार को उन्हें रक्षा मंत्री के रूप में नामित किया गया। याकूब के पिता को तालिबान नेता के रूप में पंथ की तरह का दर्जा प्राप्त था, उनका वंशज होना याकूब को आंदोलन में महत्वपूर्ण शख्स‍ियत बनाता है।

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