काबुल: ‘पूरे’ अफगानिस्तान पर कब्जा करने के दावे के बाद अब तालिबान नई सरकार बनाने जा रहा है। सरकार गठन की प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया जा रहा है। तालिबान ने चीन, पाकिस्तान, रूस, ईरान, कतर और तुर्की को सरकार गठन के कार्यक्रम के लिए न्योता भी भेजा है। शासन बदलने के साथ-साथ तालिबान देश के लिए नया झंडा और नया राष्ट्रगान भी बनाना चाहता है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने सोमवार को मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि नई सरकार अफगानिस्तान के झंडे और राष्ट्रगान पर भी फैसला करेगी।
माना जा रहा है कि अफगानिस्तान के मौजूदा राष्ट्रीय ध्वज को हटाकर अभी तालिबान जिस झंडे को लहराता है, उसी तरह का मिलता-जुलता झंडा अफगानिस्तान का नया राष्ट्रीय ध्वज बन सकता है। अभी तालिबान लड़ाकों के हाथों में जो झंडा दिखाई देता है वह सफेद है। उस पर काले रंग में कलमा लिखा हुआ है और नीचे अफगानिस्तान इस्लामिक अमीरात लिखा हुआ है।
अंतरराष्ट्रीय मीडिया के मुताबिक 15 अगस्त को काबुल पर कब्जे के बाद से ही तालिबान का यह झंडा केवल सड़कों पर ही नहीं दिखाई देता है बल्कि सरकारी भवनों, पुलिस स्टेशनों और सैन्य कार्यालय के ऊपर भी लगा दिया गया है।तालिबानी झंडे का दृश्य अफगानिस्तान में आम है। सड़कों और गलियों में फेरे वाले तालिबान का झंडा बेचने लगे हैं। लोगों को पुराने झंडे फहराने पर धमकाने और सजा दिए जाने की चेतावनी दी जाती है।
मौजूदा राष्ट्रीय ध्वज कैसा है?
अफगानिस्तान का मौजूदा राष्ट्रीय ध्वज काला, लाल और हरे रंग का है। काला रंग काले अतीत का प्रतीक है जब यह देश ब्रिटिश साम्राज्य के नियंत्रण में थी। लाल स्वतंत्रता के लिए बलिदान की याद दिलाता है और हरा रंग एक समृद्ध इस्लामी भविष्य की आशा का प्रतिनिधित्व करता है। ध्वज के केंद्र में एक मस्जिद है। पिछले 100 साल में अफगानिस्तान का झंडा करीब 18 बार बदल चुका है।
अफगान राज्य कभी ब्रिटीश उपनिवेश नहीं रहा लेकिन 1880 और 1919 के बीच अंग्रेजों के अधीन यह एक 'संरक्षित राज्य' था। 19 अगस्त को मनाए जाना वाला अफगानिस्तान का स्वतंत्रता दिवस उसी संरक्षण से मुक्ति का प्रतीक है, जब तत्कालीन अफगान शासक का देश पर पूर्ण नियंत्रण हुआ था।
इस साल 19 अगस्त को अफगानिस्तान की आजादी के 102 साल पूरे होने के मौके पर तालिबान के कब्जे का विरोध करने के लिए अपनी जान की परवाह किए बिना कुछ लोगों ने तालिबान का झंडा हटा कर, अफगानिस्तान का राष्ट्रीय ध्वज भी फहरा दिया था। अफगान राष्ट्रीय ध्वज फहराने में कुछ महिलाएं भी शामिल हुई थीं। अब अफगानिस्तान का राष्ट्रीय ध्वज तालिबानी सत्ता के विरोध का प्रतीक बन गई है।
अफगान राष्ट्रगान क्या है
अफगान राष्ट्रगान पश्तो भाषा में है। इसे मई 2006 में आधिकारिक रूप से राष्ट्रगान घोषित किया गया था। राष्ट्रगान में "अल्लाहु अकबर" के साथ-साथ अफगानिस्तान की विभिन्न जनजातियों के नामों का भी उल्लेख है। गीत अब्दुल बारी जहानी ने लिखे थे और संगीत जर्मन-अफगान संगीतकार बाबरक वासा ने दिया था।
2004 में, अफगानिस्तान के नए संविधान में कहा गया कि देश के लिए एक नया राष्ट्रगान होगा, जिसमें अफगानिस्तान के लिए एक नए युग का संदेश दिया जाएगा। रॉयल सैल्यूट अफगानिस्तान का पहला राष्ट्रगान था, जिसे 1926 में अपनाया गया था जब अमानुल्लाह खान अमीर अपने शासन के सातवें वर्ष में राजा बने थे। उसके बाद के 95 सालों तक शासकों के बदलने पर पांच बार राष्ट्रगान को बदला गया। बिना राष्ट्रगान की पांच साल की अवधि वह थी जब 1996 से 2001 तक तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा किया था।