काबुल: अफगानिस्तान में नई सरकार के गठन में हो रही देरी के बीच तालिबान ने पंजशीर प्रांत पर भी कब्जा करने का दावा किया है। उसने यह भी कहा कि पूरा अफगानिस्तान नियंत्रण में आ गया है। देश में युद्ध की समाप्ति की घोषणा करते हुए यह वादा किया कि देश में नई सरकार के गठन के बारे में जल्द एलान किया जाएगा। नई सरकार के शपथ ग्रहण समारोह के लिए पाकिस्तान, चीन, रूस, ईरान, कतर और तुर्की जैसे देशों को न्योता भेजे जाने की खबर है।
पंजशीर में तालिबान से मुकाबला करने वाले नेशनल रेजिस्टेंस फ्रंट आफ अफगानिस्तान (एनआरएफए) ने इस दावे को खारिज किया है। पंजशीर के नेता अहमद मसूद की अगुआई वाले इस गठबंधन बल ने कहा कि तालिबान ने झूठा दावा किया है। एनआरएफए बल प्रांत के सभी अहम मोर्चो पर अब भी काबिज हैं। मसूद ने लोगों से तालिबान के खिलाफ उठने का आह्वान किया है। टोलो न्यूज के अनुसार यह बयान जारी किया गया है। अहमद मसूद ने आडियो संदेश में पाक पर भी निशाना साधा। मसूद ने कहा है कि हर देश पाकिस्तान की संलिप्तता से वाकिफ है, लेकिन फिर भी हर देश खामोश है।
मसूद ने कहा है कि रेजिस्टेंस फ्रंट के लड़ाके अजेय हैं। उन्होंने पंजशीर में पाकिस्तान और तालिबान की ओर से बमबारी किए जाने की पुष्टि की। इस बीच पंजशीर के लड़ाकों और नॉर्दर्न अलायंस की सेना ने अहमद मसूद के नेतृत्व में पूरे अफगानिस्तान में विद्रोह की घोषणा कर दी है।
नहीं बदला है तालिबान
मसूद ने कहा है कि पाकिस्तान ने पंजशीर में अफगानों पर सीधे हमला किया। संदेश में कहा है कि पंजशीर में अभी भी रेजिस्टेंस फोर्स मौजूद है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने पंजशीर में अफगानों पर हमला किया और अंतरराष्ट्रीय समुदाय चुपचाप देखता रहा। अहमद मसूद ने कहा है कि वे खून की आखिरी बूंद तक हार नहीं मानेंगे। अहमद मसूद ने कहा है कि हम तालिबान के खिलाफ लड़ाई जारी रखेंगे। मसूद ने तालिबान पर पाकिस्तान की मदद से बर्बर हमला करने का आरोप लगाते हुए कहा है कि तालिबान नहीं बदला है। वह अब अधिक दमनकारी, क्रूर, चरमपंथी और अधिक हिंसक हो गया है।
तालिबान ने किया दावा
तालिबान प्रवक्ता जबीउल्ला मुजाहिद ने सोमवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा, 'पूरा पंजशीर तालिबान लड़ाकों के कब्जे में आ गया है। इस जीत के साथ हमारा देश युद्ध से बाहर निकल गया है।' उन्होंने कहा, 'हम यह यकीन दिलाते हैं कि पंजशीर के लोगों के साथ कोई भेदभाव नहीं होगा। वे हमारे भाई हैं।' उन्होंने यह भी दावा कि मसूद और पूर्व उप राष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह भागकर पड़ोसी देश ताजिकिस्तान चले गए हैं।
सोशल मीडिया पर एक फोटो वायरल हो रही है, जिसमें पंजशीर घाटी के गेट पर तालिबानियों को खड़े हुए दिखाया जा रहा है। इनके पीछे तालिबान का झंडा भी लगा है। इधर, कुछ चश्मदीदों ने भी बताया कि हजारों तालिबान लड़ाकों ने बीती रात पंजशीर के आठ जिलों पर कब्जा कर लिया। समाचार एजेंसी एएफपी का कहना है कि विरोधी गुट को इस लड़ाई में जबरदस्त नुकसान उठाना पड़ा है। इसके बाद अहमद शाह मसूद की तरफ से तालिबान को बातचीत का प्रस्ताव दिया गया था। तालिबान ने अब उनके इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया है।
पंजशीर पर हमले के लिए पाकिस्तान की सेना ने तालिबान का सहयोग किया है। रविवार को तालिबान की मदद करने के लिए पाकिस्तानी सेना ने रेजिस्टेंस फ्रंट के ठिकानों पर ड्रोन से हवाई हमले किए। इसमें पंजशीर के कई कमांडर मारे गए। पंजशीर में रजिस्टेंस के प्रमुख नेता और देश के पूर्व उप राष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह जिस घर में ठहरे थे, उस पर भी हमला हुआ। ऐसी खबरें आ रही हैं कि हमले के बाद अमरुल्लाह सालेह ताजिकिस्तान भाग गए। अहमद मसूद पंजशीर में ही सुरक्षित ठिकाने पर हैं। इधर, पंजशीर समर्थकों ने दावा किया है कि मसूद आखिरी दम तक पंजशीर में ही रहेंगे। वे दुश्मनों को पीठ दिखाने वालों में से नहीं हैं। तालिबान समर्थकों के हवाले से कुछ मीडिया रिपोर्ट में कहा गया कि अमरुल्ला सालेह और अहमद मसूद तालिबान की हिरासत में हैं।
पंजशीर में पाकिस्तान के सीएच-4 ड्रोन के हमले में रेजिस्टेंस फ्रंट के प्रवक्ता फहीम दश्ती और पांच अन्य लड़ाकों की मौत हो गई। फहीम दश्ती पेशे से पत्रकार थे और 15 अगस्त तक काबुल डेली के संपादक भी थे। अहमद मसूद के करीबी और पंजशीर बलों के प्रमुख सालेह मोहम्मद रेगिस्तानी भी पाकिस्तानी सेना के हमले में मारे गए।
1,500 तालिबान लड़ाकों को बनाया बंधक
समाचार एजेंसी एएनआइ के अनुसार, नेशनल रेजिस्टेंस फ्रंट आफ अफगानिस्तान (एनआरएफए) ने रविवार को 1,500 तालिबान लड़ाकों को बंधक बनाने का दावा किया। अलजजीरा ने बताया कि इस विपक्षी बल ने घाटी में तालिबान के सैकड़ों लड़ाकों को घेर लिया है।
पंजशीर पर तालिबान के हमले की ईरान ने की आलोचना
समाचार एजेंसी एएनआइ के अनुसार, ईरान ने पंजशीर पर तालिबान के हमले की आलोचना की है। ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, 'पंजशीर का राजनीतिक समाधान निकाला जाना चाहिए। अफगानिस्तान के इस प्रांत पर तालिबान का कब्जा अंतरराष्ट्रीय और मानवीय कानूनों के तहत स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि पंजशीर पर तालिबान के कब्जे वाली खबर परेशान करने वाली है।
ज्ञात हो कि तालिबान ने इस पंजशीर घाटी की लड़ाई के शुरुआती दौर में ही अहमद मसूद के सामने हथियार डालने और बातचीत करने का प्रस्ताव दिया था। तालिबान की तरफ से यहां तक कहा गया था कि वो अपनी भावी सरकार में उन्हें बड़ा पद देने तक को तैयार हैं, लेकिन रेजिस्टेंस फ्रंट ने हथियार डालने से साफ इनकार कर दिया था। अमरुल्लाह सालेह और अहमद मसूद ने साफ किया है कि वो किसी भी सूरत में तालिबान के आगे हथियार नहीं डालेंगे और अंतिम समय तक जंग लड़ेंगे।