नई दिल्ली: अमेरिकी सेना के अफगानिस्तान में 20 साल पुराने युद्ध का अंत हो गया है, हालांकि काबुल छोड़ने से पहले अमेरिकी सेना ने बड़ी ही सूझबूझ से हथियारबंद वाहनों को निष्क्रिय कर दिया, ताकि तालिबान के हाथों में पड़ने के बावजूद इनका इस्तेमाल न किया जा सके। अमेरिका ने कहा कि ये विमान अब कभी हवा में नजर नहीं आएंगे। ज्यादातर विमान काम के नहीं रह गए थे। फिर इन्हें बेकार कर दिया गया। वहीं इस युद्ध के अंत के बाद तालिबान 2001 से कहीं ज्यादा मजबूत होकर अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज हो गया। सोशल मीडिया पर कई वीडियोज शेयर किए गए हैं, जिसमें अमेरिकी और नाटों सेनाओं के निकलने के बाद तालिबानी लड़ाके काबुल एयरपोर्ट में प्रवेश कर रहे हैं और हवा में फायर कर जश्न मना रहे हैं। लड़ाके आधी रात को ये फायरिंग करते दिखे।
रिपोर्टस के मुताबिक, आखिरी अमेरिकी सैनिक के काबुल हवाई अड्डे से निकलने के बाद तालिबान के प्रवक्ता ने कहा कि हमारे देश को पूर्व स्वतंत्रता मिल गई है। अमेरिका के इस सबसे लंबे युद्ध में 2500 अमेरिकी सैनिकों और 2,40,000 अफगानों को अपनी जान देनी पड़ी।
इस युद्ध पर 2 ट्रिलियन डॉलर की लागत आई।
बता दें कि काबुल पर तालिबान ने 15 अगस्त को कब्जा किया था। 15 दिनों में ही अमेरिकी सैनिकों ने अपने नागरिकों और मददगारों की सुरक्षित वापसी को अंजाम दिया। अमेरिका ने करीब सवा लाख लोगों को अफगानिस्तान से इन 15 दिनों में बाहर निकाला।
गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने रविवार को काबुल हमले में मारे गए अमेरिकी सैनिकों को श्रद्धांजलि दी थी। शोक संतप्त परिवारों के सदस्यों की सिसकियां सन्नाटे को तोड़ रही थीं। बाइडेन ने खड़े होकर अपने हाथों को सीने पर रखा और उन्हें श्रद्धांजलि दी। शवों को सैन्य सी-17 विमान से नजदीक ही खड़े एक वाहन तक परंपरागत तरीके से ले जाया गया। यह आघात ऐसे वक्त पर मिला है, जब बाइडेन को अफगानिस्तान से बाहर निकलने से निपटने के लिए तीखी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। इसे लेकर बाइडेन ने ट्वीट भी किया था, जिसमें उन्होंने लिखा कि जिन 13 सदस्यों को हमने खो दिया है, वे नायक थे। जिन्होंने हमारे सर्वोच्च अमेरिकी आदर्शों की सेवा में और दूसरों का जीवन बचाने के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया। इन वीरों के परिवारों के प्रति हमारा पवित्र दायित्व हमेशा बना रहेगा।