वाशिंगटन: अमेरिकी सेना के अफगानिस्तान में 20 साल पुराने सैन्य अभियान का मंगलवार को अंत हो गया। हालांकि काबुल एय़रपोर्ट से आखिरी अमेरिकी सैनिक के रवाना होने के पहले अमेरिकी फौज ने बड़ी ही सूझबूझ से अपने कब्जे वाले तमाम लड़ाकू विमानों, हेलीकॉप्टरों और हथियारबंद वाहनों को निष्क्रिय कर दिया। ताकि तालिबान के हाथों में पड़ने के बावजूद इनका इस्तेमाल न किया जा सके। अमेरिकी सेना ने काबुल पर 15 अगस्त को तालिबान के कब्जे के बाद महज 15 दिनों में अपने नागरिकों और मददगारों की सुरक्षित वापसी के साथ इस काम को अंजाम दिया।
अमेरिकी फौज के एक सैन्य अधिकारी ने कहा, सेना ने काबुल एय़रपोर्ट पर हाईटेक रॉकेट डिफेंस सिस्टम को भी निष्क्रिय कर दिया है। सेंट्रल कमान के प्रमुख जनरल केनेथ मैकेंजी ने कहा कि हामिद करजई इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर 73 विमानों को पहले ही डिमिलिट्राइज्ड कर दिया गया है, यानी किसी भी सैन्य अभियान में इनका इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा। ये विमान अब बेकार हैं। अमेरिका ने करीब सवा लाख लोगों को अफगानिस्तान से इन 15 दिनों में बाहर निकाला है।
उन्होंने कहा कि ये विमान अब कभी हवा में नजर नहीं आएंगे। इनका कोई भी इस्तेमाल नहीं कर पाएगा। उनका कहना है कि इनमें से ज्यादा मिशन के काम के नहीं रह गए थे, फिर भी इन्हें बेकार कर दिया गया है।
मैकेंजी ने कहा कि पेंटागन ने काबुल एयरपोर्ट के संचालन के लिए करीब 6 हजार सैनिकों की एक फोर्स तैयार की थी और 14 अगस्त को इसी के जरिये अमेरिकी नागरिकों की सुरक्षित वापसी शुरू हुई थी। उन्होंने खुलासा किया कि अमेरिकी सेना 70 हथियारबंद वाहन अफगानिस्तान में छोड़ गई है। इनमें से हर एक वाहन की कीमत 10 लाख डॉलर है। इसके साथ 27 हमवी भी वहां रह गए हैं।
लेकिन अमेरिकी सेना ने इन्हें ऐसा बना दिया है कि ये कभी किसी के काम के नहीं होंगे। अमेरिका ने काबुल एयरपोर्ट की सुरक्षा के लिए रॉकेट डिफेंस सिस्टम भी लगाया था, ताकि उसके सैनिकों और विमानों को रॉकेट हमलों से बचाया जा सके। इसी सिस्टम ने सोमवार को काबुल हवाई अड्डे पर दागे गए 5 रॉकेट को निष्क्रिय किया था।
मैकेंजी ने कहा कि अमेरिका के आखिरी विमान के रवाना होने तक इसे चालू रखा गया। उन्होंने माना कि इस रॉकेट डिफेंस सिस्टम को निष्क्रिय करने में बहुत ज्यादा वक्त लगा। इन्हें तोड़ने और डिएक्टिवेट करने के बाद इनका दोबारा इस्तेमाल संभव नहीं होगा।