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लंदन: अल सल्वाडोर के अभियोजकों ने पनामा की कानून कंपनी मोजेक फोंसेका के कार्यालयों पर छापा मारा है और वहां से कई सारे दस्तावेजों और कंप्यूटर जब्त किए हैं। अल सल्वाडोर के महान्यायवादी जनरल डगलस मेलेंडेज के कार्यालय ने एक ट्वीट में कहा कि कंपनी द्वारा अपने साइन बोर्ड हटाने की खबर मिलने पर यह छापा मारा गया और इसका नेतृत्व खुद महान्यायवादी ने किया। कंपनी के कर्मचारियों ने हालांकि कहा कि वे अपने कार्यालय को कहीं दूसरी जगह ले जा रहे थे, इसीलिए साइन बोर्ड हटाया गया। मोजेक फोंसेका के मध्य अमेरिका स्थित कोलोनिया एस्कालोन में कंपनी के परिसर में छापेमारी के बाद महान्यायवादी कार्यालय ने कहा, 'छापेमारी के दौरान मोजेक फोंसेका के कार्यालय से काफी मात्रा में कंप्यूटर उपकरण जब्त किए गए।' मेलेंडेज ने बाद में संवाददाताओं से कहा कि सात कर्मचारियों से पूछताछ की गई और 20 कंप्यूटर जब्त किए गए, लेकिन किसी को हिरासत में नहीं लिया गया। उन्होंने कहा, 'इस वक्त हम किसी अपराध के बारे में कोई जानकारी नहीं दे सकते।'

उन्होंने कहा कि अल सल्वाडोर कार्यालय मोजेक फोंसेका कंपनी के लिए वैश्विक सूचना संसाधन में संभवत: मदद कर रहा है। अंतर्राष्ट्रीय खोजी पत्रकार संघ (आईसीआईजे) तथा 100 से अधिक मीडिया संगठनों ने मिलकर मोजेक फोंसेका के 10 लाख से अधिक दस्तावेजों को लीक किया, जिससे पता चलता है कि इसने किस प्रकार अमीर व प्रभावशाली लोगों को अवैध धन छिपाने के लिए कंपनियां खोलने में मदद की। जिन लोगों का इसमें नाम आया है, उनमें रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, यूक्रेन के राष्ट्रपति पेट्रो पोरोशेंको, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के संबंधी तथा आईसलैंड के प्रधानमंत्री सिगमुंदुर दावी गुन्नालाउगसन शामिल हैं। इसमें 500 से अधिक भारतीयों के नाम सामने आने की बात कही गई है। इस खुलासे के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आदेश पर केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड की वित्तीय खुफिया इकाई तथा इसकी कर शोध इकाई और भारतीय रिजर्व बैंक के अधिकारियों को मिलाकर गठित एक जांच दल इस मामले की जांच कर रहा है। केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि खुलासे में 500 भारतीयों द्वारा विदेशों में कंपनियां खोलने की बात सामने आई है, जिसकी जांच होगी और जिन लोगों ने विदेशों में अवैध धन लगा रखा है, उन्हें चैन से सोने नहीं दिया जाएगा।

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