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वाशिंगटन: अमेरिका में वीजा जालसाजी को लेकर किए गए एक स्टिंग ऑपरेशन में दस भारतीय अमेरिकियों समेत 21 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इस स्टिंग ऑपरेशन के तहत वीजा घोटाले का पर्दाफाश करने के लिए अमेरिकी प्रशासन ने एक फर्जी विश्वविद्यालय गठित किया, जिसने एक हजार से अधिक विदेशियों को छात्र और कार्य वीजा की इजाजत दी गई। राष्ट्रव्यापी अभियान में संघीय प्रशासन ने न्यूयॉर्क, न्यूजर्सी, वाशिंगटन और वर्जीनिया से 21 लोगों को गिरफ्तार किया। न्यूजर्सी के अमेरिकी अटॉर्नी पॉल जे फिशमैन ने संवाददाताओं को बताया, 'इन आरोपियों ने लोगों को फर्जी विश्व विद्यालय में दाखिला दिलवा कर उनके लिए वीजा हासिल किया। उनकी बदकिस्मती यह रही कि इस फर्जी विश्वविद्यालय को होमलैंड सुरक्षा विभाग के छुपे हुए एजेंटों द्वारा ही चलाया जा रहा था।' गिरफ्तार किए गए लोग दलाल, भर्ती करने वाले और कर्मचारी थे जो गैरकानूनी और फर्जी तरीके से छात्रों के लिए वीजा का जुगाड़ करते थे, जिन्होंने 26 देशों के एक हजार विदेशी नागरिकों के लिए छात्र वीजा और विदेशी कामगार वीजा हासिल किया।

ऐसा पाया गया कि बड़ी संख्या में जिन छात्रों को जरूरी वीजा और अमेरिका में काम करने की अनुमति दी गई, उनमें से अधिकतर भारत से थे जिन्होंने इसके लिए भारी मात्रा में पैसे भी दिया था। हालांकि अधिकारियों ने इस सालभर चले स्टिंग ऑपरेशन में फंसे भारतीय छात्रों की संख्या नहीं बताई, जिसे आव्रजन और कानून प्रशासन ने अंजाम दिया था। अमेरिकी सरकार ने गिरफ्तार किए गए लोगों की नागरिकता का खुलासा नहीं किया है, लेकिन प्रशासन द्वारा जारी किए गए नामों से संकेत मिलता है कि इनमें से दस भारतीय या भारतीय मूल के हैं। इन नामों में ताजेश कोडाली, ज्योति पटेल, शाहजादी एम परवीन, नरेंद्र सिंह पलाहा, संजीव सुखीजा, हरप्रीत सचदेव, अविनाश शंकर, कार्तिक निम्माला, गोवर्धन दयावरशेट्टी और सैयद कासिम अब्बास शामिल हैं।

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