नई दिल्ली : भारत ने एशिया प्रशांत क्षेत्र में अन्य देशों के साथ संयुक्त समुद्री गश्त की संभावना को खारिज कर दिया। कुछ ही दिन पहले अमेरिका के एक शीर्ष सैन्य कमांडर ने निकट भविष्य में संयुक्त गश्त की संभावना जताई थी। रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा कि भारत संयुक्त सैन्य अभ्यास के लिए तो तैयार है, लेकिन संयुक्त गश्त के लिए नहीं। अमेरिका ने की चार पक्षीय वार्ता की पैरवी उन्होंने साउथ ब्लॉक में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा, 'अब तक, भारत ने कभी भी संयुक्त गश्त में भाग नहीं लिया है। लेकिन हम संयुक्त अभ्यास में जरूर शामिल होते हैं। इसलिए इस चरण में संयुक्त गश्त का सवाल ही नहीं उठता।' उनसे अमेरिकी प्रशांत कमान के प्रमुख एडमिरल हैरी हैरिस की टिप्पणियों के संबंध में सवाल पूछा गया था।
अमेरिकी कमांडर ने भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के बीच चार पक्षीय वार्ता के लिए पैरवी की थी। उन्होंने यहां तक कि एशिया प्रशांत क्षेत्र में निकट भविष्य में संयुक्त गश्त की उम्मीद जताई थी। अमेरिकी एडमिरल की बात पर जवाब नहीं हैरिस ने उम्मीद जताई थी कि वह दिन दूर नहीं है जब अमेरिकी और भारतीय नौसेना के पोत समूचे हिन्द प्रशांत क्षेत्र में नजर आएंगे। पर्रिकर ने कहा, 'अमेरिकी एडमिरल ने जो कहा है, मैं उस पर जवाब नहीं दूंगा। जब हमारी तरफ से इस तरह की किसी चीज पर विचार किया जाएगा तो हमारा नजरिया आपके सामने आ जाएगा।' उन्होंने कहा कि सरकार और रक्षा मंत्रालय सभी फैसले देश के हित में लेंगे। अमेरिका जहां यह चाहता है कि भारत उसके साथ संयुक्त गश्त में शामिल हो, वहीं भारत सरकार सावधानी बरतना चाहती है और वह खुद को अमेरिका और चीन के बीच के टकराव में नहीं उलझाना चाहती।