बीजिंग: सिक्किम सेक्टर में सड़क निर्माण को लेकर पैदा हुए गतिरोध के बीच चीन ने भारत को चेताया कि नाथूला दर्रे से कैलाश मानसरोवर श्रद्धालुओं की यात्रा का भविष्य नई दिल्ली के अपनी गलतियों को सुधारने पर निर्भर करता है । बीजिंग ने सिक्किम सेक्टर में सड़क के निर्माण को वैध करार दिया और इस बात पर जोर दिया कि यह निर्माण चीन के उस इलाके में किया जा रहा है जो न तो भारत का है और न ही भूटान का और किसी अन्य देश को इसमें हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है। चीन ने इशारा किया कि भारत भूटान की ओर से सिक्किम क्षेत्र के दोंगलांग में सड़क निर्माण के प्रयासों का विरोध कर रहा है जिसका चीन के साथ कोई राजनयिक संबंध नहीं है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लु कांग ने यहां मीडिया से कहा ,दोंगलांग चीनी क्षेत्र में आता है। इसको लेकर कोई विवाद नहीं है। दोंगलांग क्षेत्र प्राचीन काल से चीन का हिस्सा है भूटान का नहीं। एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा, भारत इस क्षेत्र के साथ मुद्दा उठाना चाहता है। मेरा कहना है कि यह भूटान का हिस्सा नहीं है, और न ही यह भारत का हिस्सा है। तो हमारे पास इसके लिए पूरा कानूनी आधार है। चीन की सड़क निर्माण परियोजना वैध है और उसके क्षेत्र के भीतर यह सामान्य गतिविधि है। किसी भी देश को इसमें हस्तक्षेप का अधिकार नहीं है। चीन के सरकारी समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स ने कहा कि सभी जरूरी माध्यमों से भारतीय सैनिकों के पीछे हटवाना चाहिए तथा नियमों के बारे में सिखाया जाना चाहिए।
नाथूला दर्रे से भारतीय श्रद्धालुओं को रोके जाने के चीन के फैसले का बचाव करते लु ने कहा,चीन ने भारत-चीन संबंधों के हित में लंबे समय से भारतीय श्रद्धालुओं को व्यापक सहूलियत प्रदान की है। दोनों देशों नेताओं के बीच सहमति के आधार पर तथा सिक्किम सेक्टर रेखांकन और दोनों देशों द्वारा से इसे मान्यता दिए जाने को देखते हुए चीनी पक्ष ने 2015 में नाथूला र्दे को भारतीय श्रद्धालुओं के लिए खोला था। उन्होंने कहा, मैं इस बात पर जोर देना चाहता हूं कि श्रद्धालुओं की यात्रा की बहाली के लिए जरूरी माहौल और स्थित होनी चाहिए। इसलिए अब भारतीय पक्ष की पूरी जिम्मेदारी है और अब इसे कब खोला जाएगा, यह इस बात पर निर्भर करता है कि भारतीय पक्ष अपनी गलतियां कब सुधारता है। भारत पर निशाना साधते हुए लू ने कहा कि भूटान वैश्विक मान्यता प्राप्त संप्रभु देश है। उन्होंने कहा, उम्मीद है कि अन्य देश दूसरे देश की संप्रभुता को सम्मान देंगे। चीन -भूटान सीमा निरूपित नहीं है, किसी भी तीसरे पक्ष को इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए और न ही कोई गैरजिम्मेदाराना कार्य करना चाहिए और न ही बयानबाजी।