वाशिंगटन: दक्षिण चीन सागर के विवादित क्षेत्र में अमेरिकी युद्धपोत यूएसएस देवे के गश्त लगाने पर गुरुवार को चीन ने नाराजगी जताई। उसने कहा कि अमेरिका का यह कदम चीन को भड़का सकता है। डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद पहली बार अमेरिकी नौसेना ने विवादित दक्षिण चीन सागर क्षेत्र के उस कृत्रिम द्वीप के पास युद्धपोत भेजा, जिस पर चीन अपना दावा जताता है। लक्षित मिसाइल विध्वंसक पोत यूएसएस देवे ने मिस्चीफ टापू के 20 किलोमीटर के दायरे में गश्त लगाई है। यह टापू स्प्रैटली द्वीपसमूह का हिस्सा है, जिस पर कई देश अपना दावा जताते हैं। अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन के प्रवक्ता जेफ डेविस ने कहा, हम एशिया-प्रशांत क्षेत्र में नियमित आधार पर नौवहन संचालन करते हैं, जिसमें दक्षिण चीन सागर भी शामिल है। यह संचालन अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुसार किया जाता है। यह गश्ती किसी भी एक देश को या एक जलक्षेत्र को लेकर है। चीन की सरकार ने प्रतिक्रिया करते हुए आरोप लगाया कि अमेरिकी लड़ाकू जहाज ‘बिना इजाजत लिए’ दक्षिण चीन सागर में उसकी सीमा के अंदर घुस आया। इसके बाद चीन ने अमेरिकी जहाज को वहां से बाहर निकल जाने की चेतावनी दी। चीनी सरकार ने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप ऐसे समय पर हमें गुस्सा दिला रहे हैं, जब अमेरिका उत्तर कोरिया पर लगाम लगाने के लिए चीन से सहायता मांग रहा है। दक्षिण चीन सागर पर चीन की आक्रामकता के कारण दोनों देशों के बीच पिछले कुछ समय से तनाव बना हुआ है।
अमेरिका के अलावा ताइवान, फिलीपीन, ब्रुनेई, मलेशिया और वियतनाम सहित कई देश इस हिस्से में चीन द्वारा किए जा रहे सैन्यीकरण और निर्माण कार्यों का विरोध कर रहे हैं। इनका कहना है कि अंतरराष्ट्रीय कानूनों के मुताबिक चीन बाकी देशों के विमानों और जहाजों को यहां से गुजरने से नहीं रोक सकता है। अमेरिका का कहना है कि चीन बाकी देशों के विमानों और जहाजों को यहां से होकर गुजरने की आजादी छीनने की कोशिश कर रहा है। उसने आशंका जताई कि आने वाले दिनों में चीन इस इलाके से किसी और देश के जहाजों के गुजरने पर प्रतिबंध लगा सकता है। यह पूरा रूट अंतरराष्ट्रीय समुद्री व्यापार के सबसे व्यस्त मार्गों में से एक है।