बीजिंग: भारत ने चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) को लेकर संप्रभुता संबंधी चिंता के चलते चीन के 'बेल्ट एंड रोड फोरम' के उद्घाटन समारोह में हिस्सा नहीं लिया। भारत ने इसकी घोषणा पहले ही कर दी थी। समारोह को चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने संबोधित किया, जिसमें कोई भारतीय प्रतिनिधिमंडल नजर नहीं आया। पूछे जाने पर भारतीय राजनयिकों ने बीती रात विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले द्वारा जारी बयान की ओर संकेत किया। बागले ने कहा था 'कोई भी देश ऐसी परियोजना को स्वीकार नहीं कर सकता जिसमें उसकी संप्रभुता एवं भूभागीय एकता संबंधी प्रमुख चिंताओं की उपेक्षा की गई हो।' बैठक में कुछ भारतीय शोधार्थियों ने हिस्सा लिया। उन्होंने बताया कि कोई भारतीय प्रतिनिधिमंडल नजर नहीं आया। जिस सभागार में समारोह हुआ उसमें मीडिया को जाने की अनुमति नहीं दी गई थी। 'बेल्ट एंड रोड फोरम' (बीआरएफ) बैठक में 29 देशों और सरकारों के प्रमुखों ने हिस्सा लिया, जिनमें पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ, श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे और अन्य दक्षिण एशियाई देशों के आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल शामिल थे। रूस, अमेरिका, जापान, ब्रिटेन, जर्मनी और फ्रांस सहित विभिन्न देशों के नेताओं और अधिकारियों ने समारोह में हिस्सा लिया।
बीती रात कड़े शब्दों में जारी एक बयान में भारत ने कहा था कि संपर्क संबंधी पहल (कनेक्टिविटी इनीशिएटिव) को इस तरीके से आगे बढ़ाया जाना चाहिए कि संप्रभुता एवं भूभागीय एकता का सम्मान हो। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले ने एक बयान में कहा था 'इस मामले में हमारी सैद्धांतिक स्थिति के मुताबिक हम चीन से उसकी संपर्क संबंधी पहल 'वन बेल्ट, वन रोड' पर एक सार्थक बातचीत करने का अनुरोध करते हैं, जिसका नाम बाद में बदल कर 'बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव' कर दिया गया। हमें चीन की ओर से सकारात्मक प्रतिक्रिया का इंतजार है।'