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लंदन: यूरोप समेत दुनिया के कई देशों में कुछ संगठनों पर साइबर हमला हुआ है। इन साइबर हमलों के बाद कंप्यूटर्स ने काम करना बंद कर दिया। प्रभावित कई संगठनों ने कंप्यूटर्स के लॉक होने की शिकायत की है। इन्होंने बताया कि उनसे फिरौती के रूप में बिटकॉइन की मांग की जा रही है। इन लोगों ने फिरौती की मांग वालेस्क्रीनशॉट्स साझा किए हैं। ब्रिटेन, अमरीका, चीन, रूस, स्पेन, इटली, वियतनाम और कई अन्य देशों में रेनसमवेयर साइबर हमलों की खबर है। इसका असर इंग्लैंड के अस्पतालों पर भी पड़ा है। इस अटैक से नेशनल हेल्थ सर्विस (एनएचएस) से जुड़े कंप्यूटर्स को निशाना बनाया गया है। साइबर अटैक के तहत हैकर्स ने लंदन, ब्लैकबर्न और नॉटिंघम जैसे शहरों के हॉस्पिटल और ट्रस्ट के कंप्यूटर्स ने काम करना बंद कर दिया है। मिली जानकारी के अनुसार वहां के डॉक्टर्स ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि हमारे अस्पताल बंद हैं। उनके मुताबिक उन्हें मैसेज मिला है जिसमें लिखा है कि कंप्यूटर को खोलने के लिए पैसे देने होंगे। इस मैसेज के बाद सिस्टम पर कुछ काम नहीं हो सकता है। बताया जा रहा है जो भी कंप्यूटर कथित तौर पर साइबर अटैक शिकार हुए हैं उसे खोलने पर फाइल रिकवर करने के बदले 300 डॉलर बिटक्वाइन की मांग की गई है। मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार ब्रिटेन के कई अस्पतालों का कहना है कि इस साइबर अटैक की वजह से उन्हें कंप्यूटर ऑन करने में परेशानी हो रही है। हैकर्स का कहना है कि पैसे देने में जितना समय लगेगा फिरौती की रकम उतनी बढ़ेगी और ज्यादा टाइम होने पर सभी फाइल्स को डिलीट कर दिया जाएगा।

हैकरों ने रकम की मांग बिटक्वाइन के रूप में की है। बिटक्वाइन को हैकर्स अपने रैंजम के तौर पर यूज करते हैं ताकि उन्हें आसानी से ट्रेस न किया जा सकेगा। रिपोर्ट्स के मुताबिक अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि अगर कोई इमरजेंसी नहीं है तो फिलहाल मरीज अस्पताल न आएं। हैकिंग के तरीके से साफ है कि यह रैंजम के लिए की गई हैकिंग है। यानी हैकर्स फाइल रिकवर करने और कंप्यूटर को अनलॉक करने के लिए अब पैसे मांग रहे हैं। साइबर विशेषज्ञ मान रहे हैं कि इस प्रोग्राम को अमेरिकी राष्‍ट्रीय सुरक्षा एजेंसी ने विकसित किया था। इसको चुराकर हैकरों ने इस तरह का बड़ा साइबर हमला किया है। साइबर विशेषज्ञ रिच बार्जर के मुताबिक यह अब तक का सबसे बड़ा रैंसमवेयर हमला है जिसको साइबर समुदाय हालिया दौर में देखा है। एक बार यदि यह मालवेयर कंप्‍यूटर वायरस कंप्‍यूटर सिस्‍टम में प्रवेश कर जाता है तो इस फिर इसको रोकना बहुत मुश्किल होता है। आपको बता दें कि यह साइबर अटैक विंडोज (Windows) कंप्यूटर्स में हो रहा है और खास कर उनमें जिनमें एक्सपी (XP) है। खबरों के मुताबिक, ब्रिटेन के जिन अस्पतालों के कंप्यूटर्स हैक हो रहे हैं, उनमें ज्यादातर विंडोज एक्सपी पर चलते हैं। माइक्रोसॉफ्ट ने इस ऑपरेटिंग सिस्टम का सपोर्ट पहले ही बंद कर दिया है, इसलिए इसे यूज करना किसी चुनौती से कम नहीं है। साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट्स और एथिकल हैकर्स का मानना है कि यह एक शुरुआत है, क्योंकि इस बार हैकर्स ने NSA के लीक्ड टूल को हथियार बनाया है, जिसे एनएसए ने अपने हैकिंग के लिए बनाया था। हाल ही में विकिलीक्स ने इस हैकिंग टूल को लीक कर दिया था और इसी का फायदा उठाते हुए हैकर्स ऐसा कर रहे हैं। गौरतलब है कि एनएसए का यह हैकिंग टूल शैडो ब्रोकर्स नाम के एक ग्रुप ने लीक करने का दावा किया था। उन्होंने एनएसए के इस हैकिंग टूल को लीक किया और खुद लोगों को बताया। हालांकि माइक्रोसॉफ्ट ने मार्च में ही इस खामी को ठीक करने के लिए एक पैच अपडेट दिया, लेकिन हैकर्स फिर भी इसमें सेंध लगाने में कामयाब होते दिख रहे हैं। मार्च में माइक्रोसॉफ्ट ने विंडोज यूजर्स के लिए एक सिक्योरिटी पैच अपडेट किया था। आपने अगर इसे इंस्टॉल नहीं किया है तो अब इसे इंस्टॉल कर लें।

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