काठमांडो: एशिया को यूरोप से जोड़ने वाली चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग की महत्वाकांक्षी ‘वन बेल्ट वन रोड’ पहल में शामिल होने के लिए नेपाल ने शुक्रवार को चीन के साथ करार पर हस्ताक्षर कर दिये। यह कदम भारत के लिए चिंता पैदा कर सकता है। बीजिंग में 14 और 15 मई को होने वाली ‘वन बेल्ट वन रोड’ (ओबीओआर) फोरम से पहले समझौते पर दस्तखत किये गये हैं। नेपाल में चीन के राजदूत यू हांग और नेपाल के विदेश सचिव शंकर बैरागी ने काठमांडो के सिंघदरबार में विदेश मंत्रालय में एमओयू पर हस्ताक्षर किये। उप प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री कृष्ण बहादुर महारा और विदेश मंत्री प्रकाश शरण महत इस दौरान उपस्थित थे। महत ने कहा, ‘यह एमओयू दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों में महत्वपूर्ण क्षण है। हमारे लिए सड़क और रेलवे संपर्क महत्वपूर्ण है और हम इस क्षेत्र में निवेश चाहते हैं।’ यू ने कहा कि बेल्ट एंड रोड पहल चीन-नेपाल सहयोग और दक्षिण एशिया के विकास के लिए नये अवसर लाएगी। चीन ने पिछले साल के आखिर में नेपाल को ओबीओआर पर मसौदा प्रस्ताव भेजा था। महीने भर लंबे परामर्श के बाद नेपाली पक्ष ने कुछ बदलावों के साथ बीजिंग को मसौदा वापस भेज दिया था। नेपाल का चीन के साथ करार पर हस्ताक्षर करना भारत के लिए चिंता पैदा करने वाला है। भारत ने बीजिंग की इस पहल का विरोध किया है।
भारत को ओबीओआर के तहत चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर को लेकर आपत्ति है क्योंकि इसके पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) से गुजरने का प्रस्ताव है। परंपरागत रूप से नेपाल के साथ अच्छे आर्थिक और राजनीतिक संबंध रखने वाले भारत को पिछले कुछ सालों में चीन से लगातार स्पर्धा का सामना करना पड़ा है। चारों तरफ जमीनी सीमा से घिरा नेपाल आयात के मामले में प्रमुखता से भारत पर निर्भर है और समुद्री संपर्क के लिए पूरी तरह भारतीय बंदरगाहों पर आश्रित है।