वॉशिंगटन: संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत निक्की हेली ने उत्तर कोरिया की ओर से एक और परमाणु परीक्षण करने की स्थिति में उसके खिलाफ हमला किए जाने की संभावना से इंकार नहीं किया है। कई टेलीविजन साक्षात्कारों में निक्की ने उत्तर कोरिया को मिसाइल परीक्षण से रोकने के प्रयास को लेकर चीन की सराहना की और उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन पर जमकर बरसीं। निक्की ने एनबीसी के ‘टुडे शो’ में कहा, ‘‘जब तक वह हमें कोई कारण नहीं देता तब तक हम कुछ नहीं करने जा रहे हैं।’’ यह पूछे जाने पर कि अगर उत्तर कोरिया एक और परमाणु हथियार या मिसाइल का परीक्षण करता है तो फिर क्या होगा। निक्की ने कहा, ‘‘मैं सोचती हूं कि ऐसी स्थिति में राष्ट्रपति फैसला करेंगे कि क्या होगा।’’ उन्होंने कहा कि अमेरिका उत्तर कोरिया पर दबाव बनाने के लिए चीन के साथ मिलकर काम कर रहा है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ सोमवार (24 अप्रैल) को फोन पर हुई बातचीत के दौरान उत्तर कोरिया पर ‘संयम’ बरतने का अनुरोध किया। कुछ ही दिनों में एक अमेरिकी सुपरकैरियर विमानवाहक कोरियाई प्रायद्वीप के समीप पहुंचने वाला है। विदेश मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान के अनुसार, शी ने कहा, ‘(चीन) उम्मीद करता है कि संबंधित पक्ष संयम बरत सकते हैं और ऐसी किसी भी कार्रवाई से बच सकते हैं जो कि कोरियाई प्रायद्वीप में तनाव बढ़ा सकते हैं।’
दोनों नेताओं के बीच ट्रंप के फ्लोरिडा स्थित रिजॉर्ट में इस माह हुई। बैठक के बाद यह दूसरी बार फोन पर बातचीत हुई है। उत्तर कोरिया के हाल के प्रदर्शन जिसमें उसके पास अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों (आईसीबीएम) के जखीरे का खुलासा हुआ है, उसे देखते हुए दक्षिण कोरिया और सहयोगियों को आशंका है कि प्योंगयांग का अगला कदम और भी बड़ा हो सकता है। अपनी सैन्य क्षमताओं के प्रदर्शन के लिए उत्तर कोरिया आमतौर पर कुछ विशिष्ट तारीखों या मौकों को चुनता है। दक्षिण कोरिया के अधिकारियों का कहना है कि संभवत: प्योंगयांग छठा परमाणु परीक्षण या आईसीबीएम का पहला परीक्षण मंगलवार (25 अप्रैल) को देश की सेना के स्थापना दिवस पर कर सकता है। इन कदमों से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की उत्तर कोरिया को लेकर फिलहाल विकसित हो रहीं नीतियों की भी परीक्षा होगी। ऐसी खबरें हैं कि ट्रंप ने सैन्य विकल्पों को आजमाने या उत्तर कोरिया की सरकार को जोर-जबरदस्ती से सत्ता से हटाने के बजाए चीन की मदद से प्योंगयांग पर दबाव बनाने की रणनीति पर सहमति जताई है। चीन उत्तर कोरिया का प्रमुख सहयोगी है।