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बीजिंग: चीन ने शुक्रवार (21 अप्रैल) को कहा कि अरुणाचल प्रदेश के छह स्थानों को मानकीकृत आधिकारिक नाम देना उसका ‘कानूनी अधिकार’ है। भारत के अरुणाचल प्रदेश को अपना अभिन्न अंग बताने वाले बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लु कांग ने यहां कहा, ‘भारत-चीन सीमा के पूर्वी हिस्से पर चीन की स्थिति स्पष्ट और एक समान है।’ उन्होंने कहा, ‘जातीय मोमबा और तिब्बती चीनियों द्वारा प्रासंगिक नामों का इस्तेमाल किया जाता रहा है जो यहां पीढ़ियों से रहते हैं. यह एक तथ्य है जिसे बदला नहीं जा सकता है। इन नामों को मानकीकृत करना और उनका प्रसार करना हमारे कानूनी अधिकार पर आधारित सही तरीका है।’ लु ने भारत के इस आरोप का भी विरोध किया कि चीन क्षेत्र पर अपने क्षेत्रीय दावे को वैध करने के लिए नामों को गढ़ रहा है। इससे पहले चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश में छह स्थानों का नाम बदलने पर आपत्ति जताते हुए भारत ने गुरुवार (20 अप्रैल) को कहा था कि पड़ोसी देश के स्थानों का नाम बदल देने से अवैध कब्जा वैध नहीं हो जाता है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले ने इस मुद्दे पर कहा था कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है। उन्होंने कहा, ‘पड़ोसी देश के स्थानों का नाम बदलने से अवैध कब्जा वैध नहीं बन जाता है। अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है और रहेगा।’

यह पूछने पर कि क्या भारत ने मामले को चीन के समक्ष उठाया है। उन्होंने कहा कि चीन की सरकार ने अभी तक आधिकारिक रूप से कोई जानकारी नहीं दी है और मंत्रालय ने इस पर केवल रिपोर्ट देखी है.। चीन ने बुधवार (19 अप्रैल) को घोषणा की थी कि पूर्वोत्तर राज्य में छह स्थानों के उसने ‘मानकीकृत’ आधिकारिक नाम रखे हैं और इस भड़काऊ कदम को ‘वैध कार्रवाई’ बताया था। माना जाता है कि दलाई लामा के अरुणाचल दौरे पर आपत्ति जताने के बाद चीन ने यह कदम उठाया है। रोमन वर्णों का इस्तेमाल कर रखे गए छह स्थानों के नाम वोग्यैनलिंग, मिला री, कोईदेंगारबो री, मेनकुका, बूमो ला और नमकापब री है। भारत और चीन की सीमा पर 3488 किमी लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा विवाद का विषय है। चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिण तिब्बत कहता है, जबकि भारत का कहना है कि विवादित क्षेत्र अक्सई चिन क्षेत्र है। जिसे चीन ने वर्ष 1962 के युद्ध में कब्जा लिया था।

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