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वाशिंगटन: अमेरिकी सेना ने गुरुवार को अफगानिस्तान में अपना सबसे बड़ा गैर परमाणु बम गिराया। उसके निशाने पर ननगहार प्रांत के अचिन जिले में स्थित आईएस की गुफाएं थीं। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन ने यह जानकारी दी। यह पहली मौका है जब अमेरिका ने युद्धक्षेत्र में इस बम का इस्तेमाल किया है। इस मिशन की जानकारी रखने वाले चार अमेरिकी सैन्य अधिकारियों ने बताया कि सेना ने अफगानिस्तान में सबसे बड़ा बम गिराया है। सूत्रों ने बताया कि जीबीयू-43/बी मैसिव आर्डनेंस एयर ब्लास्ट बम गुरुवार को स्थानीय समयानुसार शाम सात बजे गिराया गया। इस बम का निकनेम मॉब (एमओएबी) भी है। इसे 'मदर ऑफ ऑल बम्ब' भी कहा जाता है। इसका वजन 21600 पाउंड है और यह जीपीएस से निर्देशित है। यह बम अमेरिका का शक्तिशाली गैर परमाणु बम है। अमेरिकी सेना ने गुरुवार को अफगानिस्तान में अपना सबसे बड़ा गैर परमाणु बम गिराया। उसके निशाने पर ननगहार प्रांत के अचिन जिले में स्थित आईएस की गुफाएं थीं। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन ने यह जानकारी दी। यह पहली मौका है जब अमेरिका ने युद्धक्षेत्र में इस बम का इस्तेमाल किया है। इस मिशन की जानकारी रखने वाले चार अमेरिकी सैन्य अधिकारियों ने बताया कि सेना ने अफगानिस्तान में सबसे बड़ा बम गिराया है। सूत्रों ने बताया कि जीबीयू-43/बी मैसिव आर्डनेंस एयर ब्लास्ट बम गुरुवार को स्थानीय समयानुसार शाम सात बजे गिराया गया।

इस बम का निकनेम मॉब (एमओएबी) भी है। इसे 'मदर ऑफ ऑल बम्ब' भी कहा जाता है। इसका वजन 21600 पाउंड है और यह जीपीएस से निर्देशित है। यह बम अमेरिका का शक्तिशाली गैर परमाणु बम है। जीबीयू-43/बी-मैसिअव ऑरडनेंस एयर ब्लास्ट ‘एमओएबी’ को मदर ऑफ ऑल बम कहा जाता है। इस परंपरागत बम को अल्बर्ट एल ने अमेरिकी सेना के लिए विकसित किया। 2002 में डिजाइन किये गए इस बम को 2003 में मैक एलेस्टर सैन्य गोलाबारूद संयंत्र में तैयार किया गया। 11 मार्च 2003 को फ्लोरिडा में इसका पहला प्रशिक्षण किया गया। इसके बाद 21 नवंबर 2003 को इसका दोबारा प्रशिक्षण किया गया। प्रशिक्षण के दौरान यह सबसे शक्तिशाली परंपरागत बम माना जाता था। अमेरिका ने दो प्रशिक्षण के अलावा 2003 में हुए इराक युद्ध के लिए 15 विशेश एमओएबी बम तैयार किये थे। लेकिन इनका इस्तेमाल नहीं किया गया। जानकारी के मुताबिक 2007 तक इसके इस्तेमाल का विचार तक नहीं किया गया। हालांकि अप्रैल 2003 में एक बम फारस की खाड़ी में भेजा गया था। एमओएबी का विकास एक खास रणनीति के तहत किया गया था। इसके इस्तेमाल से दुश्मन को चौंकाने और गुमराह करने की रणनीति थी। ऐसा मानना था कि इसे खाली इलाकों या सुरंगों पर हमला करने के लिए इस्तेमाल किया जाए, ताकि दुश्मन ताकत देखकर घबरा जाये और युद्ध से पीछे हटे या फिर सरेंडर कर दे। अमेरिकी के ‘फादर ऑफ ऑल बम’के जवाब में रूस ने 2007 में ‘फादर ऑफ ऑल बम’ विकसित किया। यह अमेरिकी बम से चार गुना अधिक शक्तिशाली था। 11 सितंबर 2007 को इसका पहला प्रशिक्षण किया गया।

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