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इस्लामाबाद: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और देश की सेना के प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने बुधवार को इस बात पर सहमति जताई कि वे भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव के मामले में किसी भी तरह के दबाव में नहीं आएंगे। जाधव को जासूसी के आरोपों को लेकर मौत की सजा दी गई है। समा टीवी की खबर के अनुसार सेना प्रमुख जनरल बाजवा शरीफ से मिले और जाधव के मामले को लेकर प्रधानमंत्री को भरोसे में लिया। चैनल ने ज्यादा ब्यौरा दिए बिना कहा कि जाधव के मुद्दे पर दोनों किसी भी तरह के दबाव में ना आने पर सहमत हुए। वहीं, रेडियो पाकिस्तान की खबर के अनुसार दोनों ने इस्लामाबाद में हुई अपनी बैठक में सेना की पेशेवर तैयारी, सुरक्षा एवं सीमा की मौजूदा स्थिति से जुड़े विषयों पर चर्चा की। सेना प्रमुख ने शरीफ को आतंकवाद के खिलाफ सेना द्वारा शुरू किए गए अभियान रदद उल फसाद में हुई प्रगति की भी जानकारी दी। सेना प्रमुख और प्रधानमंत्री के बीच हुई यह पहली सीधी बातचीत थी। वहीं, पाकिस्तान के सूचना राज्य मंत्री ने कहा कि उनका देश जाधव के मामले में झुकेगा नहीं। उसने कहा कि जाधव को सजा देने में किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं हुआ है। जादव के जासूसी शामिल होने के संबंध में सूचना कई देशों के साथ साझा की गई है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि वह भारतीय जासूस है।

जनरल बाजवा और शरीफ की यह बैठक सेना प्रमुख द्वारा जाधव को सैन्य अदालत से मिली मौत की सजा की मंजूरी करने के दो दिन बाद हुई। जाधव को कथित रूप से जासूसी एवं विध्वंसकारी गतिविधियों के लिए मौत की सजा सुनायी गई। भारत ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए पाकिस्तान सरकार को चेतावनी दी कि जाधव को फांसी देने पर द्विपक्षीय संबंधों पर गंभीर असर पड़ेगा। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कल संसद के दोनों सदनों में दिए गए एक बयान में कहा था कि भारत जाधव के लिए न्याय सुनिश्चित करने के लिए कुछ भी करेगा जो एक निर्दोष अपहृत भारतीय हैं। उन्होंने कहा था कि जाधव की फांसी को भारत सुनियोजित हत्या मानेगा और पाकिस्तान इस पर आगे बढ़ने से पहले द्विपक्षीय संबंधों पर पड़ने वाले इसके असर पर विचार करे।

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