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गुवाहाटी: साल 2008 में हुए असम सीरियल बम विस्फोट मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफबी) के संस्थापक रंजन दैमारी और नौ अन्य को उम्रकैद की सजा सुनाई है। सीबीआई के विशेष न्यायाधीश अपरेश चक्रवर्ती ने कड़ी सुरक्षा के बीच दायमारी, जॉर्ज बोडो, बी थरई, राजू सरकार, अंचई बोडो, इन्द्र ब्रह्मा, लोको बासुमतारी, खरगेश्वर बासुमतारी, अजय बासुमतारी और राजन गोयारी को सजा सुनाई। अदालत ने तीन अन्य दोषियों- प्रभात बोडो, जयंती बसुमतारी और मथुरा ब्रह्मा - पर जुर्माना लगाया है। जुर्माने की राशि का भुगतान करने के बाद उन्हें रिहा कर दिया जायेगा।

सीबीआई अदालत ने निलिम दायमारी और मृदुल गोयारी की रिहाई के आदेश भी दिये क्योंकि वे पहले ही अपनी सजा काट चुके हैं। दायमारी और 14 अन्य आरोपियों को सोमवार को भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत दोषी ठहराया गया था। दोषी ठहराए जाने के तुरंत बाद एनडीएफबी प्रमुख की जमानत रद्द कर उसे हिरासत में ले लिया गया था जबकि 14 अन्य अभियुक्त पहले से ही न्यायिक हिरासत में थे।

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने असम में चल रहे हिरासत केंद्रों और पिछले 10 साल के दौरान वहां हिरासत में लिए गए विदेशी नागरिकों की संख्या समेत विभिन्न ब्यौरे उपलब्ध कराने के सोमवार को निर्देश दिए। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई एवं न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ कार्यकर्ता हर्ष मंदर की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। यह याचिका असम के हिरासत केंद्रों और वहां लंबे समय से हिरासत में रखे गए विदेशी नागरिकों की स्थिति को लेकर दायर की गई है।

शीर्ष अदालत ने केंद्र से हिरासत केंद्रों, वहां बंद बंदियों की अवधि और विदेशी नागरिक अधिकरण के समक्ष दायर उनके मामलों की स्थिति को लेकर विभिन्न विवरण मांगे हैं। पीठ ने कहा, “हम यह जानना चाहते हैं कि वहां कितने हिरासत केंद्र हैं। हम यह भी जानना चाहते हैं कि वहां कितने लोग बंद हैं और कब से।” पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से भी इस संबंध में ब्यौरे उपलब्ध कराने को कहा है कि अब तक कितने लोगों को विदेशी करार दिया गया है और उनमें से कितनों को अब तक वापस उनके देश भेज दिया गया है। पीठ ने पिछले 10 साल के दौरान भारत में अवैध रूप से प्रवेश करने वाले विदेशियों का वर्षवार ब्यौरा भी मांगा है।

गुवाहाटी: सीबीआई की विशेष अदालत ने 2008 में असम में हुए सिलसिलेवार बम विस्फोटों के मामले में नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफबी) के प्रमुख रंजन दैमारी और 14 अन्य को सोमवार को दोषी ठहराया। इन विस्फोटों में 88 लोग मारे गए थे। सीबीआई की विशेष अदालत के न्यायाधीश अपरेश चक्रवर्ती ने दैमारी और 14 अन्य को आईपीसी की विभिन्न धाराओं में दोषी करार दिया। दोषियों को सजा बुधवार को सुनाई जाएगी। दैमारी के अलावा जॉर्ज बोडो, बी. थरई, राजू सरकार, निलिम दैमारी, अंचाई बोडो, इन्द्र ब्रह्मा, लोको बासुमतारी, खड़गेश्वर बासुमतारी, प्रभात बोडो, जयंत बोडो, अजय बासुमतारी, मृदुल गोयारी, माथुराम ब्रह्मा और राजेन गोयारी को भी दोषी करार दिया गया है।

असम में 30 अक्तूबर, 2008 में बम धमाका हुआ था। गुवाहाटी और पश्चिमी असम के आस-पास के इलाकों में एक के बाद एक 18 बम धमाके हुए थे। इस धमाके में 81 लोगों की मौत जबकि 470 घायल हो गए थे। विशेष सरकारी वकील टीडी गोस्वामी ने कहा कि राज्य ने आरोपियों के खिलाफ सजा-ए-मौत की मांग की है। सीबीआई की विशेष अदालत 30 जनवरी को आरोपियों को सजा सुनाएगी।

गुवाहाटी: कृषक मुक्ति संग्राम समिति के नेता अखिल गोगोई ने रविवार को कहा कि अगर असम के लोगों को उचित सम्मान नहीं किया जाता है तो ‘‘हमें सरकार को यह कहने का साहस दिखाना चाहिए कि हम भारत में नहीं रहने पर विचार कर सकते हैं।’’ प्रस्तावित विधेयक के विरोध में असम के तिनसुकिया जिले के पानीटोला में एक रैली को संबोधित करते हुए गोगोई ने कहा, ‘‘अगर सरकार हमें सम्मान देती है तो हम देश के साथ हैं लेकिन अगर असम के स्थानीय लोगों की भावनाओं की उपेक्षा की जाती है और विधेयक को पारित किया जाता है तो असम के हर नागरिक को साहस के साथ कहना चाहिए कि वे भारत का हिस्सा नहीं रहेंगे।’’

प्रस्तावित विधेयक में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के गैर मुस्लिमों को भारतीय नागरिकता देने का प्रस्ताव है और कई दलों एवं संगठनों ने दावा किया है कि इसका संवेदनशील सीमावर्ती राज्य की भौगोलिक स्थिति पर विपरीत असर पड़ेगा।

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