गुवाहाटी: केंद्रीय गृह मंत्रालय ने शनिवार को एनआरसी की अंतिम सूची प्रकाशित कर दी है। तीन करोड़ 11 लाख 21 हजार चार लोगों के नाम एनआरसी सूची में शामिल हैं। वहीं 19 लाख 6 हजार 657 लोगों के नाम सूची में शामिल नहीं हैं। असम में नागरिकता पहचान का काम सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हुआ है। सूची को लेकर लाखों लोगों के दिल की धड़कन अपने भविष्य को लेकर बढ़ी हुई हैं। हालांकि राज्य सरकार ने सूची में नाम नहीं आने पर लोगों को भयभीत न होने और हरसंभव मदद करने का आश्वासन दिया है। कई संवेदनशील इलाकों में धारा 144 लागू की गई है और राज्य में सुरक्षाबलों की 218 कंपनवियों को हाई अलर्ट पर रखा गया है।
एनआरसी की सूची से बाहर हुए 19 लाख लोग
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एनआरसी की अंतिम सूची जारी कर दी है। एनआरसी के स्टेट कोऑर्डिनेटर, प्रतीक हजेला ने कहा, 'अंतिम एनआरसी में शामिल होने के लिए कुल 3,11,21,004 व्यक्ति पात्र पाए गए। वहीं 19,06,657 लोगों के नाम सूची में शामिल नहीं हैं। इनमें वह लोग भी शामिल हैं जिन्होंने अपने दावे प्रस्तुत नहीं किए।
जो लोग इस परिणाम से संतुष्ट नहीं हैं वे विदेशी ट्रिब्यूनल के समक्ष अपील दायर कर सकते हैं।'
कई हिस्सों में हो रही है बारिश
गुवाहाटी के कई हिस्सों में भारी बारिश हो रही है। जिसके कारण क्षेत्रों में पानी भर गया है।
डीजीपी ने कहा- अफवाह फैलाने वालों पर होगी कड़ी कार्रवाई
असम के डीजीपी कुलाधर सैकिया का कहना है कि यदि कोई व्यक्ति माहौल बिगाड़ने या अफवाह फैलाने की कोशिश करेगा तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि एनआरसी को अपडेट करने का काम काफी समय से चल रहा है और कई तरह की चुनौतियों के बीच पुलिस व्यवस्था बनाने में कामयाब रही है।
विदेशी न्यायाधिकरणों में कर सकते हैं अपील
एनआरसी की अंतिम सूची में नाम शामिल न होने वाले लोग विदेशी न्यायाधिकरणों में अपील कर सकते हैं। राज्य सरकार ऐसे 400 विदेशी न्यायाधिकरणों को स्थापित करेगी। अतिरिक्त मुख्य सचिव कुमार संजय कृष्ण के अनुसार 200 न्यायाधिकरणों की स्थापना पहले से ही की जा रही है। एनआरसी से बाहर रखे गए लोग अर्ध न्यायिक अदालतों में भी अपील कर सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में दिया था आदेश
उच्चतम न्यायालय ने साल 2013 में एनआरसी अपडेट करने का आदेश दिया था। जिससे कि बोनाफाइड नागरिकों की पहचान की जा सके और अवैध अप्रवासियों को बाहर निकाला जा सके। मगर इसपर असल काम फरवरी 2015 से शुरू हुआ था।