गुवाहाटी: विदेशी करार दिए गए सेना के रिटायर्ड जवान को शनिवार को असम के हिरासत कैंप से छोड़ दिया गया है। ऐसा गुवाहाटी हाईकोर्ट की तरफ से उन्हें अंतरिम जमानत देने के एक दिन बाद किया गया है। सेना में करीब 30 साल तक बतौर ‘सुबेदार’ अपनी सेवा देने वाले मोहम्मद सनाउल्ला को फॉरनर्स ट्रिब्यूनल की तरफ से 23 मई को विदेशी करार दिया था। जिसके छह दिन बाद उन्हें डिटेंशन कैम्प में भेज दिया गया था। सनाउल्ला के परिवार की तरफ से दायर याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करते हुए गुवाहाटी हाईकोर्ट की खंडपीठ ने 52 वर्षीय सेना के पूर्व जवान को सशर्त जमानत दे दी।
सेवानिवृत्ति के बाद असम पुलिस के बॉर्डर आर्गेनाइजेशन के साथ काम कर रहे सनाउल्ला को 20 हजार की जमानत राशि और दो स्थानीय गवाह के बिना पर शनिवार को रिहा कर दिया गया। इससे पहले कांग्रेस के सांसद गौरव गोगोई ने गृह मंत्री अमित शाह से करगिल युद्ध लड़ चुके सैनिक मोहम्मद सनाउल्ला के लिए न्याय सुनिश्चित करने का केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से अनुरोध किया था।
गोगोई ने इस सिलसिले में शाह को एक पत्र लिखा है, जिसे बृहस्पतिवार को मीडिया के लिए उपलब्ध किया गया।
गौरतलब है कि 23 मई को विदेशी घोषित किए जाने और सेवा से बर्खास्त किए जाने से पहले कामरूप जिला निवासी सनाउल्ला असम बार्डर पुलिस में उपनिरीक्षक के तौर पर सेवा दे रहे थे। करीब साल भर पहले असम ने राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) का पूर्ण मसौदा जारी किया था। इसमें सनाउल्ला सहित 40.07 लाख आवेदकों के नाम शामिल नहीं हैं। सनाउल्ला को 2014 में राष्ट्रपति पदक से सम्मानित किया गया था। उन्हें असम के गोलपाड़ा जिले में एक हिरासत गृह में रखा गया था।