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नई दिल्ली: हेट स्पीच को लेकर चुनाव आयोग की कार्रवाई के बाद मायावती ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, मगर मायावती को फिलहाल सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है। मायावती को चुनाव आयोग के बैन पर फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस संबंध में याचिका दायर करें, फिर हम सुनवाई करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा हम कह सकते हैं कि चुनाव आयोग ने अपनी शक्तियों का इस्तेमाल किया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनाव आयोग ने अचार सहिंता तोड़ने वालों के खिलाफ कार्रवाई की।

बता दें कि चुनाव आयोग ने हेट स्पीच को लेकर चुनाव मायावती पर 48 घंटे और सीएम योगी आदित्यनाथ पर 72 घंटे के लिए चुनाव प्रचार से बैन कर दिया गया है। यह आदेश आज सुबह 6 बजे से लागू है। दरअसल मायावती की ओर से दुष्यंत दवे ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि चुनाव आयोग ने मनमाने तरीके से उनके चुनाव प्रचार पर बैन लगा दिया है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट इस पर चुनाव आयोग के फैसले पर रोक लगाई जाए। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि आप याचिका दाखिल करें, तब हम सुनवाई करेंगे।

मायावती की ओर से कहा गया कि उनको रैली करनी है और जनसभा करनी है और फिलहाल वक्त नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग के हेट स्पीच मामले में कार्रवाई पर संतोष जताया है और कहा है कि फिलहाल कोई नए आदेश देने की जरूरत नहीं। आजम खां, मायावती, सीएम योगी और मेनका पर प्रचार पर बैन के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लगता है कि चुनाव आयोग हमारे आदेश के बाद जाग गया है और उसने कई नेताओं को चुनाव प्रचार से कुछ घंटों के लिए बैन लगाया है।

चुनाव आयोग के फैसले पर मायावती ने क्या कहा

बसपा प्रमुख मायावती ने चुनाव आयोग द्वारा उन पर लगाये गये 48 घंटे के प्रतिबंध को दबाव में लिया गया फैसला करार देते हुए कहा कि यह एक साजिश और लोकतंत्र की हत्या है। उन्होंने सोमवार देर रात प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि आयोग ने सहारनपुर के देवबंद में दिये गये बयान पर उनकी सफाई को नजरअंदाज करते हुए उन पर पाबंदी लगा दी और यह लोकतंत्र की हत्या है। उन्होंने कहा ''संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत किसी को अपनी बात रखने से वंचित नहीं किया जा सकता लेकिन आयोग ने अभूतपूर्व आदेश देकर मुझे बगैर किसी सुनवाई के असंवैधानिक तरीके से क्रूरतापूर्वक वंचित कर दिया। यह दिन काला दिवस के रूप में याद किया जाएगा। यह फैसला किसी दबाव में लिया गया ही प्रतीत होता है।

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से किया था सवाल

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव प्रचार के दौरान बसपा प्रमुख मायावती और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कथित रूप से विद्वेष फैलाने वाले भाषणों का सोमवार को संज्ञान लिया और निर्वाचन आयोग से जानना चाहा कि उसने इनके खिलाफ अभ्री तक क्या कार्रवाई की है। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली पीठ ने चुनाव प्रचार के दौरान जाति एवं धर्म को आधार बना कर विद्वेष फैलाने वाले वाले भाषणों निबटने के लिये आयोग के पास सीमित अधिकार होने के कथन से सहमति जताते हुये निर्वाचन आयोग के एक प्रतिनिधि को मंगलवार को तलब किया है। पीठ ने निर्वाचन आयोग के इस कथन का उल्लेख किया कि वह जाति और धर्म के आधार पर विद्वेष फैलाने वाले भाषण के लिये नोटिस जारी कर सकता है, इसके बाद परामर्श दे सकता है और अंतत: ऐसे नेता के खिलाफ आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के आरोप में शिकायत दर्ज करा सकता है।

मायावती के बयान पर चुनाव आयोग ने मांगी थी रिपोर्ट

चुनाव आयोग ने रविवार को सहारनपुर के देवबंद में आयोजित महागठबंधन की चुनावी रैली में बसपा प्रमुख मायावती द्वारा 'मुस्लिम' शब्द का इस्तेमाल किए जाने पर जिला प्रशासन से रिपोर्ट मांगी थी। प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी वेंकटेश्वर लू ने बताया कि उन्होंने मायावती द्वारा रैली में अपने भाषण में मुस्लिम शब्द का इस्तेमाल करते हुए वोट की अपील किए जाने पर जिला प्रशासन से रिपोर्ट मांगी है। उन्होंने बताया कि मायावती के इस बयान पर कई शिकायतें मिली थी, जिसके बाद आयोग ने यह कदम उठाया है।

देवबंद में मायावती ने क्या कहा था

देवबंद में सपा-बसपा-रालोद महागठबंधन की पहली चुनावी रैली में मायावती ने मुस्लिम मतदाताओं का आह्वान करते हुए कहा था कि भाजपा को कांग्रेस नहीं हरा सकती। उसे सिर्फ महागठबंधन हरा सकता है, लिहाजा मुस्लिम मतदाता कांग्रेस को वोट देकर उसे ज़ाया करने के बजाय महागठबंधन प्रत्याशियों के पक्ष में एक तरफा मतदान करें।

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