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अहमदाबाद: गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले वहां सरगर्मियां तेज हो गई हैं। भाजपा और आम आदमी पार्टी (आप) दोनों के नेता सक्रिय हो चुके हैं लेकिन राजनीतिक विश्लेषक गुजरात में कांग्रेस की भूमिका को लेकर असमंजस की स्थिति में हैं। इसी बीच भाजपा और आम आदमी पार्टी के नेता एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं। इसी कड़ी में गुजरात भाजपा अध्यक्ष ने अरविंद केजरीवाल पर हमला बोला है।

आरोप-प्रत्यारोप का दौर हुआ तेज

दरअसल, एक तरफ जहां आम आदमी पार्टी और भाजपा के नेता गुजरात में सक्रिय नजर आ रहे हैं, तो वहीं कांग्रेस अभी भी चुनावी रणनीति में पीछे दिख रही है। रविवार को गुजरात में आदिवासी महासम्मेलन में पहुंचे अरविंद केजरीवाल ने गुजरात भाजपा अध्यक्ष सीआर पाटिल पर हमला बोलते हुए कहा कि सीआर पाटिल महाराष्ट्र के हैं और गुजरात को चलाने के लिए भाजपा को 6.50 करोड़ गुजरातियों में से कोई काबिल आदमी नहीं मिला। इस पर सीआर पाटिल ने भी जवाबी हमला किया।

सीआर पाटिल ने अपने ट्वीट में कहा कि खालिस्तानी विचारधारा वाले लोगों को अपनी पार्टी में जिम्मेदारी देने वाले अरविंद केजरीवाल इस देश की सुरक्षा के लिए खतरा हैं। इससे पहले केजरीवाल ने भरूच की अपनी जनसभा में गुजरात में 'स्कूलों और अस्पतालों की स्थिति' की आलोचना की। उन्होंने सत्तारूढ़ पार्टी को यह कहते हुए भी चुनौती दी कि आम आदमी पार्टी इस साल के अंत में होने वाले आगामी विधानसभा चुनावों में उसे हरा देगी।

भाजपा बनाम आम आदमी पार्टी हुआ चुनाव?

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि गुजरात में भाजपा की सरकार है और वह लगातार अपने चुनावी अभियान को धार देने में लगी हैं। भाजपा के नेता कांग्रेस से ज्यादा आम आदमी पार्टी को टारगेट कर रही है तो वहीं आम आदमी पार्टी भी गुजरात के लोगों को यह दिखाने की कोशिश में है कि अब वह भाजपा को हरा सकती है। उसके नेता गुजरात में लगातार दिल्ली मॉडल की तारीफ करते हैं। इसी कड़ी में आप ने बीटीएस से भी गठबंधन किया है। 2017 के विधानसभा चुनाव में बीटीएस का कांग्रेस के साथ गठबंधन था।

चुनाव में कांग्रेस की क्या स्थिति?

अंदरूनी कलह को लेकर कांग्रेस कितना भी सफाई दे लेकिन उसके नेता आपस में ही लड़ रहे हैं। प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक ने तो पिछले दिनों यहां तक कह दिया कि पार्टी में मेरी स्थिति उस नवविवाहित दूल्हे के जैसी है, जिसे नसबंदी से गुजरना पड़ा हो। कांग्रेस पर उन्हें अनदेखा करने का आरोप लगाते हुए हार्दिक ने कहा था कि मुझे पीसीसी की किसी भी बैठक में आमंत्रित नहीं किया जाता है, कोई भी निर्णय लेने से पहले वे मुझसे सलाह नहीं लेते हैं, तो इस पद का क्या मतलब है।

फिलहाल अब यह देखना होगा कि विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस अपने आप कैसे पेश करेगी। हालांकि हाल ही में गुजरात कांग्रेस के प्रभारी रघु शर्मा ने अपने एक बयान से कुछ सरगर्मी जरूर बढ़ा दी है। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में हार्दिक पटेल पार्टी के साथ कदम से कदम मिलाकर चुनावी प्रक्रिया में आगे बढ़ेंगे। एक्सपर्ट्स का यह भी मानना है कि क्या हार्दिक पटेल की समस्या केवल हार्दिक की है या गुजरात कांग्रेस की भी है। अगर समस्या गुजरात कांग्रेस की है तो पार्टी के लिए काफी मुश्किल होगा।

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