नई दिल्ली: गुजरात चुनावों से पहले कांग्रेस ने ओबीसी वोट बैंक पर सेंध लगाई है। ओबीसी समुदाय के युवा नेता अल्पेश ठाकोर ने कांग्रेस में शामिल होने की घोषणा की है। वह बनासकांठा से चुनाव लड़ सकते हैं। शनिवार शाम को दिल्ली में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात के बाद मीडिया से बातचीत में अल्पेश ठाकुर ने यह घोषणा की।
गुजरात कांग्रेस के नेता भरत सिंह सोलंकी ने कहा कि 23 अक्टूबर को गांधीनगर में होने वाली राहुल गांधी की रैली में अल्पेश ठाकोर औपचारिक तौर पर कांग्रेस में शामिल होंगे।
इससे पहले गुजरात कांग्रेस ने पाटीदार नेता हार्दिक पटेल को चुनाव लड़ने का खुला आमंत्रण दिया है। गुजरात कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भरत सोलंकी ने हार्दिक पटेल को गुजरात विधानसभा चुनाव लड़ने का न्यौता दिया है। भरत सोलंकी ने कहा कि अगर हार्दिक पटेल चुनाव लड़ना चाहते हैं तो कांग्रेस पार्टी उन्हें आमंत्रण देती है।
उधर कांग्रेस के चुनाव लड़ने के न्यौते पर पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने कहा, 'संविधान के मुताबिक मैं चुनाव नहीं लड़ सकता और न ही कोई जरूरत है। लेकिन बीजेपी के खिलाफ एकजुट होना जरूरी है।'
गौरतलब है कि अभी हाल ही में गुजरात सरकार ने हार्दिक पटेल के खिलाफ तिरंगे के अपमान करने का केस वापस ले लिया। हार्दिक पर दो साल पहले (19 अक्टूबर 2015) तिरंगे के अपमान का केस दर्ज हुआ था।
कौन हैं अल्पेश ठाकुर?
गुजरात में ओबीसी नेता के तौर पर उभरे अल्पेश ठाकोर पाटीदारों को आरक्षण देने का विरोध करते रहे हैं। साथ ही वह गुजरात सरकार के शराबबंदी के फैसले के पक्षधर रहे हैं। ओबीसी, एससी और एसटी एकता मंच के संयोजक अल्पेश ठाकोर ने अलग-अलग मंचों से गुजरात की हालत ख़राब होने की बात कही र्ह।
वह कहते हैं कि विकास सिर्फ दिखावा है, गुजरात में लाखों लोगों के पास रोज़गार नहीं है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इस बार गुजरात चुनाव में जातीय समीकरण को पाटीदार अनामत आंदोलन समिति के संयोजक हार्दिक पटेल, जिग्नेश मेवाणी और राष्ट्रीय दलित अधिकार मंच के संयोजक अल्पेश ठाकोर प्रभावित करेंगे।
गुजरात की आबादी में ओबीसी का हिस्सा 51 फीसदी है। ऐसे में माना जा रहा है कि कुल 182 विधानसभा सीटों में से 110 सीटों पर हार-जीत प्रभावित हो सकती है।
गुजरात में दिसंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं। चुनाव आयोग ने भले ही अभी तक चुनाव की तारीखों की घोषणा नहीं की हो, लेकिन दोनों प्रमुख राजनितिक पार्टियां भाजपा और कांग्रेस इस राज्य में रैली और जनसभा के जरिए अभी से माहौल बना रही हैं।
गुजरात को भाजपा का गढ़ माना जाता है लेकिन, बीते दो सालों में जिस तरह तीन युवाओं हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकोर और जिग्नेश मेवाणी ने पाटीदार, ओबीसी और दलित समुदायों को प्रभावित किया है, उससे भाजपा की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।