ताज़ा खबरें
महाराष्ट्र के नतीजे पर उद्धव बोले- 'यह सिर्फ एक लहर नहीं, सुनामी थी'
संसद में वायनाड के लोगों की आवाज बनूंगी: चुनाव नतीजे के बाद प्रियंका
झारखंड में 'इंडिया' गठबंधन को मिला बहुमत, जेएमएम ने 34 सीटें जीतीं
पंजाब उपचुनाव: तीन सीटों पर आप और एक पर कांग्रेस ने की जीत दर्ज

अहमदाबाद: भाजपा अध्यक्ष अमित शाह साल 2002 में नरौदा गाम में हुए दंगा मामले में गुजरात की पूर्व मंत्री एवं भाजापा नेता माया कोडनानी की ओर से बचाव पक्ष के गवाह के रूप में आज {सोमवार ) विशेष एसआईटी अदालत में पेश हुए। शाह ने न्यायाधीश पी. बी. देसाई के समक्ष अपना बयान दर्ज कराया।

देसाई ने पिछले मंगलवार को कोडनानी के एक आवेदन पर शाह को समन किया था। अदालत ने इस वर्ष अप्रैल में कोडनानी के, अपने बचाव में शाह एवं कुछ अन्य गवाहों को बुलाये जाने के आवेदन को मंजूरी दी थी। माया कोडनानी ने कहा है कि अहमदाबाद के निकट नरौदा गाम में हुए दंगों के दौरान वह विधानसभा के सत्र में भाग लेने के बाद सोला सिविल अस्पताल गयी थीं। माया के मुताबिक, वह उस स्थान पर थी ही नहीं, जहां हिंसा हुई थी।

उन्होंने कहा था कि तत्कालीन विधायक अमित शाह भी उस वक्त सोला सिविल अस्पताल में मौजूद थे। साबरमती ट्रेन की बोगी में आग लगाने की घटना में मारे गए कारसेवकों के शव गोधरा से सोला सिविल अस्पताल लाये गये थे। शाह की गवाही उनके ‘‘बयान’’ की पुष्टि करेगी कि वह अपराध के वक्त कहीं और उपस्थित थीं।

वर्ष 2002 में विधायक रहीं कोडनानी को तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार में 2007 में कनिष्ठ मंत्री बनाया गया था। उच्चतम न्यायालय ने तीन सप्ताह पहले विशेष एसआईटी अदालत से कहा कि वह मामले की सुनवायी चार महीने के भीतर पूरी करे। तत्कालीन प्रधान न्यायमूर्ति जे. एस. खेहर की अध्यक्षता वाली पीठ ने निचली अदालत से कहा कि वह दो महीने के भीतर गवाहों का बयान दर्ज करने का काम पूरा करे।

नरौदा गाम मामला 2002 में हुए नौ बड़े सांप्रदायिक दंगों के मामलों में से एक है जिनकी जांच उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त विशेष जांच दल ने की है। गोधरा ट्रेन अग्निकांड के एक दिन बाद 28 फरवरी, 2002 को नरौदा गाम में 11 मुसलमानों को मार डाला गया था। इस मामले में कुल 82 लोगों के खिलाफ सुनवायी हो रही है। कोडनानी को नरौदा पाटिया दंगा मामले में दोषी करार देते हुए 28 साल कैद की सजा सुनायी गयी है।

  • देश
  • प्रदेश
  • आलेख