बलौदाबाजार (छत्तीसगढ़): फर्जी हस्ताक्षर कर शिक्षकों के जीपीएफ खाते से राशि निकालने के दोषी बलौदाबाजार के तत्कालीन बीईओ (खंड शिक्षा अधिकारी) को अदालत ने 6 अलग-अलग मामलों में 84 साल की सजा सुनाई है। साथ ही 23 लाख रुपए जुर्माना लगाया है। 14 साल बाद फैसला आया है। हर मामले में 14-14 साल की सजा सुनाई गई है।
वर्ष 2003 में बीईओ के रूप में दुलारीराम कौशिक तथा लेखापाल व कर्मचारी के रूप में केजराम वर्मा व टीपी सोनी बलौदाबाजार में पदस्थ थे। इनके कार्यकाल में फर्जी हस्ताक्षर व आवेदन कर कई शिक्षकों के जीपीएफ खाते से बड़ी रकम निकाल ली गई थी। घटना की जानकारी संबंधित शिक्षकों को होने पर उन्होंने मामला दर्ज कराया था।
बलौदाबाजार पुलिस ने तीनों के विरुद्ध 6 मामले दर्ज कर अदालत में पेश किया था। मामले की सुनवाई करीब 14 साल चली। इस दौरान केजराम वर्मा व टीपी सोनी की मौत हो गई।
न्यायालयीन सूत्रों के अनुसार शुक्रवार को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट बलौदाबाजार आदित्य जोशी की अदालत ने सुनवाई करते हुए दुलारीराम कौशिक को धारा 409, 420, 467, 468 व 471 के तहत दोषी पाए जाने पर कुल 84 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। जुर्माने की रकम जमा नहीं करने पर 23 माह का सश्रम कारावास अतिरिक्त भुगतना होगा।