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चेन्नई: तमिलनाडु में एआईएडीएमके में राजनीतिक उठापट का दौर जारी है। जहां एक तरफ उप महासचिव टीटीवी दिनाकरण के 18 विधायकों को विधानसभा अध्यक्ष में अयोग्य घोषित कर दिया है, वहीं दूसरी तरफ सीएम पलानीस्वामी ने भाजपा से गठबंधन के संकेत दिए हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पलानीस्वामी ने कहा है कि वो जल्द ही भाजपा से गठबंधन कर सकती है।

बता दें कि एआईएडीएमके के दो ताकत भर नेताओं के एक होने के बाद दिनाकरण अगल हो गए। विधानसभा सचिव के भूपति ने एक बयान में कहा कि मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी के खिलाफ बताया है। उन्होंने कहा कि पिछले माह विद्रोह करने वाले 18 विधायकों के खिलाफ संविधान की दसवीं अनुसूची के अनुरूप बनाए गए दल-बदल विरोधी एवं अयोग्यता कानून 1986 के तहत यह कदम उठाया गया है।

मदुरै: मद्रास हाई कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि वह अन्नाद्रमुक के चुनाव चिह्न ‘‘दो पत्तियां’’ से संबंधित मामले पर 31 अक्तूबर से पहले फैसला करे। पार्टी के दो धड़ों ने इस चुनाव चिह्न पर अपना दावा किया था। इसके बाद चुनाव आयोग ने इस चुनाव चिह्न पर रोक लगा दी थी। न्यायमूर्ति के के शशिधरन और न्यायमूर्ति जी आर स्वामीनाथन की पीठ ने चुनाव आयोग से यह फैसला करने को कहा कि तमिलनाडु की सत्तारूढ़ पार्टी में किस धड़े को बहुमत है और उसे 31 अक्तूबर के पहले चुनाव चिह्न ‘‘दो पत्तियां’’ आवंटित करे। अदालत ने कहा कि इस मामले में फैसला जल्दी करना जरूरी है क्योंकि राज्य में स्थानीय निकायों के चुनाव 17 नवंबर के पहले होने हैं।

चेन्नई: मद्रास हाईकोर्ट ने 14 सितंबर को तमिलनाडु विधानसभा में सरकार को बहुमत साबित करने के लिए 20 सितंबर तक रोक लगा दी है। एआईडीएमके से निकाले जा चुके दिनाकरण ने विधानसभा में फ्लोर टेस्ट की मांग को लेकर एक याचिका दायर की थी।

हाईकोर्ट ने कहा कि 20 सितंबर से पहले विधानसभा में फ्लोर टेस्ट नहीं कराया जाना चाहिए। इसके साथ ही मद्रास हाईकोर्ट ने विधायकों को याचिका दायर करने के आदेश के साथ एडवोकेट जनरल से स्पष्टीकरण देने को कहा है कि क्या अध्यक्ष पी धनपाल 19 विधायकों को अयोग्य घोषित करने जा रहे हैं।

गौरतलब है कि शशिकला से पार्टी के महासचिव समेत सभी पद छीन लिए गए हैं। इसके अलावा उनके समर्थक दिनाकरण को भी पार्टी ने निकाल दिया गया है।

चेन्नई: एकीकृत अन्नाद्रमुक ने अपनी पहली बैठक में आज (मंगलवार) पार्टी की अंतरिम महासचिव के रूप में वी. के. शशिकला की नियुक्ति रद्द करने का फैसला किया। बैठक में कहा गया है कि पार्टी अपने संस्थापक दिवंगत एम. जी. रामचन्द्रण और दिवंगत मुख्यमंत्री जे. जयललिता के अलावा किसी अन्य को पार्टी महासचिव के रूप में स्वीकार नहीं कर सकती है। सूत्रों का कहना है कि पार्टी की सर्वोच्च संस्था, महासभा और कार्यकारी समिति की बैठक में शशिकला की नियुक्ति रद्द करने संबंधी प्रस्ताव पारित हुआ। बैठक में पार्टी के उप-प्रावधानों में संशोधन करने का भी फैसला लिया गया, जिसके अनुसार अब पार्टी में भविष्य में कोई महासचिव नहीं होगा। पार्टी के मामलों में फैसला अब एक संचालन समिति करेगी। गौरतलब है कि 21 अगस्त को पार्टी के मुख्यमंत्री के. पलानीस्वामी और ओ. पनीरसेल्वम वाले धड़ों के विलय के दौरान इस समिति के गठन की घोषणा हुई थी। दोनों धड़ों के विलय के बाद पार्टी की यह पहली बैठक है। ई. मधुसूदन की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में पलानीस्वामी और पनीरसेल्वम सहित पार्टी के अन्य नेताओं ने भाग लिया। 

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