नई दिल्ली: तमिलनाडु में स्थानीय निकाय चुनाव को लेकर द्रविड़ मुनेत्र कषगम (डीएमके) और कांग्रेस के बीच असहमति की वजह से उनके गठबंधन में बना तनाव का माहौल उस समय नए गर्त में पहुंच गया, जब डीएमके के एक नेता ने कहा कि उनकी पार्टी को इस बात की 'कतई परवाह नहीं' है कि कांग्रेस गठबंधन छोड़ देगी। स्थानीय निकाय चुनाव के लिए सीटों के बंटवारे में डीएमके द्वारा गठबंधन धर्म नहीं निभाए जाने के कांग्रेस के एक नेता के आरोप पर तीखी प्रतिक्रिया में डीएमके के कोषाध्यक्ष दुरई मुरुगन ने बुधवार को यह टिप्पणी की।
उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा, "अगर वे गठबंधन छोड़ते हैं, तो छोड़ने दीजिए। क्या नुकसान है? हमें परवाह नहीं, अगर कांग्रेस गठबंधन छोड़ देती है। कम से कम मुझे तो कतई परवाह नहीं।" यह पूछे जाने पर कि क्या कांग्रेस की गैर-मौजूदगी में डीएमके का वोट प्रतिशत घटेगा, दुरई मुरुगन ने कहा, "नहीं, हरगिज़ नहीं, बल्कि अगर उनका (कांग्रेस का) कोई वोट शेयर होगा, तो हमारा घट जाएगा।" इस टिप्पणी पर कांग्रेस के सांसद कार्ती चिदम्बरम ने भी त्वरित प्रतिक्रिया देते हुए सवाल किया, "यह समझ वेल्लोर के संसदीय उपचुनाव से पहले क्यों नहीं आई?"
डीएमके और कांग्रेस के बीच आई दरार उस समय सार्वजनिक हो गई थी, जब कांग्रेस की तमिलनाडु इकाई के प्रमुख के.एस. अलागिरी ने डीएमके प्रमुख एम.के. स्टालिन पर उचित संख्या में स्थानीय निकाय प्रमुखों के पद कांग्रेस को नहीं देकर धोखा देने का आरोप लगाया। कांग्रेस ने कहा कि 27 जिला पंचायत प्रमुख पदों में से एक भी उन्हें नहीं दिया गया।
इसके बाद नाराज़ डीएमके ने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा आहूत विपक्षी दलों की उस बैठक का बहिष्कार किया, जिसमें नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) तथा राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) को लेकर रणनीति बनाने पर चर्चा की गई। यह घटनाक्रम काफी हैरान करने वाला रहा, क्योंकि दोनों पार्टियों के ताल्लुकात काफी करीबी माने जाते रहे हैं। एम.के. स्टालिन तो पिछले साल लोकसभा चुनाव के दौरान (कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष) राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद का दावेदार बताते हुए कांग्रेस-नीत गठबंधन के सबसे मुखर समर्थकों में से एक थे।
डीएमके नेता टी.आर. बालू ने कहा कि के.एस. अलागिरी को उनके मुखिया के खिलाफ सार्वजनिक रूप से बयान देने से बचना चाहिए था। लोकसभा सांसद टी.आर. बालू ने सोमवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा था, "हमने बैठक में इसलिए शिरकत नहीं की, क्योंकि हमारे मुखिया पर गठबंधन धर्म नहीं निभाने का आरोप लगाया गया। यह बयान डीएमके प्रमुख पर सीधा आरोप लगाता है।"
हालांकि के.एस. अलागिरी इसके बाद सोनिया गांधी से मुलाकात के दौरान अपने बयान को लेकर कथित रूप से अफसोस जता चुके हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या गठबंधन सहयोगी इस विवाद से आगे बढ़कर साथ काम कर सकते हैं, टी.आर. बालू ने कहा, "यह समय ही बताएगा कि संबंध पुराने स्तर पर पहुंच पाए हैं या नहीं।"