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चेन्नई: मद्रास हाईकोर्ट ने अनियमितताओं के आरोप में तीन जजों को पद से हटा दिया है। इसके अलावा हाईकोर्ट ने आठ अन्य के सेवा विस्तार पर रोक लगा दी है। पहली बार हाईकोर्ट ने एक जिला जज के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण कानून 1988 के तहत आपराधिक मामले में अभियोजन की इजाजत दे दी है। कोर्ट के आदेश के बाद एक अन्य जज के पांच वेतनवृद्धियों पर रोक लगा दी है। इस दौरान उन पर कड़ी निगरानी रखी जाएगी। मद्रास हाईकोर्ट ने अपने फैसलों से सबॉर्डिनेट जूडिशरी में भ्रष्टाचार और अकुशलता को लेकर सख्त संदेश दिया है।

वर्तमान में न्यायमूर्ति संजय किशन कौल मद्रास हाईकोर्ट में मुख्य न्यायधीश हैं। उनके नेतृत्व में ही इन न्यायिक अधिकारियों पर अनियमितताओं का आरोप लगने के बाद कार्रवाई की गई है। नमक्कल की पूर्व एडिशनल जिला जज एस मंविझी के खिलाफ अनियमितताओं का केस चलेगा। कोर्ट ने उन्हें सेवानिवृत होने की इजाजत नहीं दी है। उनके खिलाफ कई अनियमितताओं में संलिप्त होने को लेकर मामला चलाया जाएगा। मंविझि के अलावा जिन दो अन्य न्यायधीशों को हटाया गया है उनमें कृष्णागिरि के पूर्व जूडिशल मैजिस्ट्रेट के विजयकुमार और रामनाथपुरम के पूर्व मुख्य टी पोनप्रकाश शामिल हैं।

पूर्व जूडिशल मैजिस्ट्रेट के विजयकुमार को मई 2015 में अनियमितताओं के चलते उन्हें निलंबित कर दिया गया था। रामनाथपुरम के तत्कालीन प्रिंसिपल जज टी पोनप्रकाश मार्च 2017 में 58 साल के हो गए लेकिन उन्हें रिटायर होने की इजाजत नहीं मिली। उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू हो गई। अब कोर्ट ने उनके खिलाफ लगे आरोपों की गंभीरता को देखते हुए उन्हें हटाने का फैसला किया है।

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