नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने 2007 के कावेरी जल न्यायाधिकरण फैसले के क्रियान्वयन के लिए केंद्र सरकार द्वारा तैयार की गई योजना पर तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल और पुडुचेरी से सोमवार को प्रतिक्रिया मांगी। शीर्ष अदालत ने फरवरी 2018 में इस फैसले में मामूली संशोधन कर इस पर अपनी मुहर लगा दी थी।
प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ की एक पीठ ने लाभार्थी राज्यों से जवाब मांगा, क्योंकि महान्यायवादी के.के. वेणुगोपाल ने कहा था कि ऐसे दो क्षेत्र हैं, जहां केंद्र सरकार अदालत का हस्तक्षेप चाहती है। वेणुगोपाल ने यह भी कहा कि चारों राज्यों के बीच कुछ विवाद हैं और योजना के तहत कोई एक प्राधिकरण होगा और इसका नाम-बोर्ड, प्राधिकरण या कोई दूसरा नाम- तय नहीं हो पाया है।
सुनवाई के प्रारंभ में ही अदालत ने जल संसाधन सचिव यू.पी. सिंह की उपस्थिति दर्ज की। पिछली सुनवाई के दौरान उन्हें अदालत में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का निर्देश दिया गया था।
अदालत मामले की अगली सुनवाई बुधवार को करेगी। इस सुनवाई के दौरान राज्यों के जवाब के साथ योजना की समीक्षा की जाएगी। शीर्ष अदालत की फटकार के बावजूद, केंद्र ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव के बाद तक अपना जवाब देने में देरी की।