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मदुरै: तमिलनाडु के मदुरै जिले के पलामेदु इलाके में 15 जनवरी को जल्लीकट्टू (सांड़ों को काबू करने का खेल) के दौरान 11 प्रतिस्पर्धी जख्मी हो गए, जिसमें से एक युवक की मौत हो गई। जल्लीकट्टू पर रोक हटने के बाद मौत का यह पहला मामला सामने आया है।

तमिलनाडु के राजस्व मंत्री आर बी उदयकुमार ने इस कार्यक्रम का उद्घाटन किया, जिसमें करीब 1,000 सांड़ों और सैकड़ों खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया। पलामेदु जल्लीकट्टू के आयोजन के लिए एक प्रसिद्ध स्थान है। जल्लीकट्टू के खेल में विजयी हुए प्रतिस्पर्धियों को आकर्षक पुरस्कार दिए गए। इसी तरह, खिलाड़ियों को मात देने वाले सांड़ों को भी पुरस्कृत किया गया।

पुलिस ने बताया कि करीब 1,200 जवानों की तैनाती कर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। घायल हुए 11 खिलाड़ियों का इलाज तुरंत मेडिकल कैंप में कराया गया और फिर उन्हें घर भेज दिया गया। हालांकि घायलों में एक की मौत हो गई। मरने वाले युवक की उम्र 19 साल बताई जा रही है।

बता दें कि तमिलनाडु में 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने जल्लीकट्टू पर बैन लगा दिया था। लेकिन, 2017 में हुए प्रदर्शनों के बाद तमिलनाडु सरकार ने बिल पास कर जल्लीकट्टू को मंजूरी दी थी।

जल्लीकट्टू पर विवाद कब शुरू हुआ?

- एनीमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया ने जल्लीकट्टू को पशुओं पर क्रूरता बताया था। बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में इस पर बैन लगाने के लिए केस फाइल किया था। 

27 नवंबर 2010: SC ने शर्तों के साथ तमिलनाडु में जल्लीकट्टू मनाने के निर्देश दिए।

2011: मिनिस्ट्री ऑफ एन्वॉयरमेंट एंड फॉरेस्ट ने नोटिफिकेशन जारी किया कि इवेंट में बैल शामिल नहीं होंगे और इवेंट पर बैन लग गया। लेकिन, 2009 ने तमिलनाडु रेगुलेशन ऑफ जल्लीकट्टू एक्ट नं. 27 के तहत ये इवेंट जारी रही। 

7 मई 2014:SC ने तमिलनाडु सरकार के एक्ट को दरकिनार कर जल्लीकट्टू पर बैन लगा दिया। 

8 जनवरी 2016: मिनिस्ट्री ऑफ एन्वॉयरमेंट एंड फॉरेस्ट ने कुछ शर्तों के साथ जल्लीकट्टू को मंजूरी दी। 

14 जनवरी 2016: SC ने एनीमल वेलफेयर बोर्ड और PETA की पिटीशन पर जल्लीकट्टू पर बैन को जारी रखा। केंद्र के ऑर्डर पर स्टे लगा दिया।

8 जनवरी 2017: चेन्नई के मरीना बीच पर सैकड़ों लोगों ने जल्लीकट्टू पर बैन के विरोध में प्रदर्शन किया। ये विरोध पूरे तमिलनाडु में फैल गया।

12 जनवरी 2017: SC ने राज्य और केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर बैन को बरकरार रखा। लेकिन, तमिलनाडु में कई जगह जल्लीकट्टू हुआ। केंद्र की रिक्वेस्ट पर SC ने जल्लीकट्टू पर अपना फैसला कुछ दिनों के लिए टाल दिया।

23 जनवरी 2017: तमिलनाडु के गवर्नर ने जल्लीकट्टू जारी रखने के लिए ऑर्डिनेंस इश्यू किया, जिस पर तमिलनाडु विधानसभा में बिल पास कर जल्लीकट्टू को प्रिवेंशन ऑफ क्रुएलिटी ऑफ एनिमल एक्ट (1960) से छूट दे दी।

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