चेन्नई: इन दिनों जेल की सजा काट रहीं अन्नाद्रमुक की नेता वीके शशिकला के पति एम नटराजन से जुड़ा एक मामला इन दिनों सुर्खियों में बना हुआ है। हाल ही में नटराजन का लीवर और किडनी प्रतिरोपित करने के लिए उनकी सर्जरी की गई। इस बात की जानकारी उनके रिश्तेदार और पार्टी सदस्य टीटीवी दिनाकरण ने दी है।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक शशिकला के पति को कई ऑर्ग फेल्योर के बाद 10 सितंबर को चेन्नई के पेरुंबक्कम में ग्लेनीगल्स हेल्थ सिटी में भर्ती कराया गया था। जहां आईसीयू में उनका इलाज चल रहा था। अस्पताल के मुताबिक नटराजन पिछले छह महीनों से लीवर की पुरानी बीमारी का इलाज करा रहे थे।
नटराजन की बीमारी का एकमात्र इलाज ऑर्गन ट्रांसप्लांट ही था और वे अप्रैल से अपने लिए एक डोनर का इंतजार कर रहे थे। खबरों की मानें तो ग्लेनीगल्स ग्लोबल हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने मंगलवार देर रात दोहरे ऑर्गन ट्रांसप्लांट के लिए नटराजन को तैयार किया था और अभी उसके लिए सर्जरी चल रही है।
ऐसे में सवाल उठता है कि उन्हें डोनर कहां से मिला? खबरों के मुताबिक, डॉक्टरों ने नटराजन के लिए मैचिंग डोनर तंजावुर के एक अस्पताल में भर्ती गंभीर रूप से घायल किशोर के तौर पर पाया जिसके बाद उसे चेन्नई के लिए एयर लिफ्ट करवाया गया।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक, "कार्तिक (19 वर्ष) एक दिहाड़ी मजदूर था और तंजावुर गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज में 30 सितंबर को सिर में गंभीर चोट के चलते भर्ती कराया गया था। लेकिन जैसे ही उसे सोमवार की रात चेन्नई के ग्लेनीगल्स ग्लोबल हॉस्पिटल के लिए एयरलिफ्ट किया गया, उसके थोड़ी देर बाद उसे ब्रेनडेड घोषित कर दिया गया।
उसी अस्पताल में अन्नाद्रमुक की नेता वीके शशिकला के पति एम नटराजन लीवर ट्रांसप्लांट का इंतजार कर रहे थे। कुछ खबरें कह रही हैं कि कार्तिक को चेन्नई पहुंचने के बाद ब्रेनडेड घोषित किया गया, जबकि कुछ के मुताबिक जब वह चेन्नई के रास्ते में था उस दौरान उसे ब्रेनडेड घोषित किया गया था।
फिलहाल इस बात की पुष्टि नहीं हुई है कि उसे कब ब्रेनडेड घोषित किया गया। ऐसे में सवाल ये है कि कार्तिक को डॉक्टर की सलाह पर बेहतर इलाज के लिए चेन्नई के ग्लेनीगल्स ग्लोबल हॉस्पिटल के लिए एयरलिफ्ट किया गया था। दिहाड़ी लगाकर बड़ी मुश्किल से गुजर-बसर करने वाले एक मजदूर को सरकारी अस्पताल से उस अस्पताल में एयरलिफ्ट करना जो हेल्थ सर्विस में अंतर्राष्ट्रीय स्तर की सुविधा देने का दावा कर रहा हो, अपने आप में सवाल खड़ा करता है।
इसके अलावा खास बात ये भी है कि एयर एंबुलेंस की एक घंटे की कीमत 1 लाख रुपये है जोकि कार्तिक जैसे दिहाड़ी मजदूर के लिए काफी ज्यादा है। एक बात और बात, जो हैरान करती है वो ये कि हर साल लगभग 1.5 लाख लोगों को किडनी की जरूरत होती है, लेकिन केवल 3 हजार लोगों को ही डोनर मिल पाते हैं।
वहीं लीवर का इंतजार कर रहे 25 हजार मरीजों में से केवल 800 भाग्यशालियों को ही यह नसीब हो पाता है। इन हालातों में ऐन मौके पर नटराजन को डोनर मिलना किसी करिश्मे से कम नहीं लगता।