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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने तमिलनाडु विधानसभा में 18 फरवरी को हुए विश्वास मत में मुख्यमंत्री ई के पलानीस्वामी द्वारा जीत दर्ज करने से संबंधित मामले से आज खुद को अलग कर लिया। पूर्व मुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम के करीबी माने जाने वाले अन्ना द्रमुक विधायक के. पंडियाराजन ने याचिका दायर कर इस आधार पर विधानसभा में विश्वास मत को रद्द करने की मांग की कि विधायकों ने दबाव में आकर वोट दिया था। वेणुगोपाल ने न्यायालय को बताया कि उन्होंने पनीरसेल्वम के नेतृत्व वाले अन्नाद्रमुक के एक धड़े को कानूनी सलाह दी थी। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति ए एम खानविल्कर की एक पीठ ने वेणुगोपाल से कहा कि वह सोलिसिटर जनरल रंजीत कुमार को सूचित करें। पीठ ने कहा, मामले से अलग होने के बारे में सोलिसिटर जनरल को सूचित करें। उनसे मामले में मदद करने के लिए पूछें। न्यायालय ने इस मामले पर अगली सुनवाई के लिए 11 जुलाई की तारीख तय कर दी। सुप्रीम कोर्ट ने पांच जुलाई को अटॉर्नी जनरल से अन्नाद्रमुक विधायक की यााचिका पर गौर करने में मदद करने के लिए कहा था।

इससे पहले वरिष्ठ वकील गोपाल सुब्रहमण्यम ने दावा किया था कि विधायकों ने दबाव में विश्वास मत में वोट दिया था और विपक्षी सदस्यों को मार्शलों के जरिए विधानसभा से बाहर ले जाया गया। सुब्रहमण्यम ने कहा कि गुप्त मतदान कराया जाना चाहिए था लेकिन तमिलनाडु विधानसभा के अध्यक्ष पी धनपाल ने विधायकों की इस मांग को खारिज कर दिया जिसके बाद विश्वास मत में मुख्यमंत्री ई के पलानीस्वामी ने जीत हासिल की। अन्नाद्रमुक विधायक ने इस फैसले को चुनौती दी और उनकी मांग को खारिज करने के अध्यक्ष के फैसले के रद्द करने के निर्देश देने की अपील की। इसके अलावा याचिकाकर्ता ने सभी परिणामी कार्वाईयों को रद्द करने की मांग की जिसमें 18 फरवरी का विधानसभा का वह प्रस्ताव भी शामिल है जिसमें इडापड्डी के पलानीस्वामी के नेतृत्व वाले मंत्रियों की परिषद के पक्ष में विश्वास जताया गया था। याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा नामित स्वतंत्र अैर निष्पक्ष पर्यवेक्षकों की मौजूदगी में गुप्त मतदान के जरिए सदन में फिर से शक्ति परीक्षण कराने के अध्यक्ष को निर्देश देने की मांग भी की है। जेल में बंद अन्ना द्रमुक महासचिव वी के शशिकला के विश्वासपात्र माने जाने वाले ई के पलानीस्वामी ने 18 फरवरी को 122-11 मतों के अंतर से विश्वास मत जीत लिया था। मुख्य विपक्षी दल द्रमुक के निष्कासन और सहयोगी दलों के वॉकआउट से उन्हें विश्वास मत जीतने में मदद मिली। इस दौरान सदन में अराजकता की स्थिति देखी गई जिसमें माइक उखाड़ दिए गए, कुसर्यिां गिरा दी गई और कागज फाड़कर चारों तरफ उछाले गए। पंडियाराजन ने दावा किया कि अन्नाद्रमुक के 122 विधायकों को आठ फरवरी से लेकर 18 फरवरी को मतदान से पहले तक गोल्डन बे रिजॉर्ट में जबरन बंधक बनाकर रखा गया। उन्होंने कहा कि पनीरसेल्वम ने 19 फरवरी को तमिलनाडु के राज्यपाल से अनुरोध किया था कि कि वे 18 फरवरी के प्रस्ताव को मंजूरी ना दें और गुप्त मतदान के जरिए नए तरीके से विश्वास मत कराए जाने की कोई और तारीख तय करें।

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