चैन्नई: तमिलनाडु में 29 सालों बाद बहुमत परीक्षण हुआ। परीक्षण के दौरान पलानीसामी ने विश्वासमत हासिल किया। उनके समर्थन में 122 मत मिले। वहीं इससे पहले सदन में हाई वोल्टेज ड्रामा चला और स्पीकर ने डीएमके की गुप्त मतदान की मांग को खारिज करते हुए दो बार सदन स्थगित कर दिया। इस दौरान हंगामा करते हुए डीएमके विधायकों ने स्पीकर के सामने वाली टेबल-कुर्सी तोड़ दी व माइक्रोफोन भी फेंक दिये। डीएमके विधायकों ने हंगामे के दौरान सारी मर्यादाएं तोड़ दी। इन लोगों ने कुर्सियां तोड़ी, माइक तोड़े, कागज फाड़ दिये। इतना ही नहीं डीएमके के विधायक कु का सेल्वम तो विरोध में स्पीकर की कुर्सी पर जा बैठे। इस पूरे हाईवोल्टेज के दौरान हालत को संभालने के लिए मार्शल को बुलाना पड़ा। इस हंगामे के दौरान एक अधिकारी घायल हो गए जिन्हें फौरन अस्पताल में जाकर भर्ती कराया गया। इससे पहले डीएमके के कार्यवाहक अध्यक्ष और विपक्ष के नेता एमके स्टालिन ने सवाल उठाया कि जब राज्यपाल ने बहुमत साबित करने के लिए 15 दिन दिए हैं तो इतनी जल्दबाजी क्यों दिखाई जा रही है। इसके बाद डीएमके विधायक ने बेंच पर खड़े होकर गुप्त मतदान कराने को लेकर नारेबाजी करने लगे। बहुमत परीक्षण के दौरान कांग्रेस ने भी गुप्त मतदान की मांग की। इसके अलावा इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने भी गुप्त मतदान की मांग की। लेकिन स्पीकर ने इनकी मांग खारिज कर दी। विधानसभा में मतदान के दौरान ब्रीफिंग रूम के बाहर लगे टीवी और स्पीकर्स बंद कर दिये गए।
इसके अलावा मीडिया को भी विधानसभा कार्यवाही की जानकारी देने से इनकार कर दिया गया। पलानीसामी की सरकार द्वारा आज लाए गए अहम विश्वास प्रस्ताव पर मतदान से पहले तमिलनाडु विधानसभा में विपक्षी सदस्यों ने भारी हंगामा कर कार्यवाही को बाधित कर दी। मामले के बढ़ जाने पर विधानसभा अध्यक्ष पी धनपाल मार्शलों के साथ विधानसभा से निकल गए। इस हंगामे के बीच कार्यवाही बाधित हो गई। कुछ विपक्षी सदस्यों ने गुप्त मतदान की मांग की थी। दो दिन पहले मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेने वाले पलानीसामी को राज्यपाल सी विद्यासागर राव ने बहुमत साबित करने के लिए 15 दिन का समय दिया था लेकिन उन्होंने आज ही अपना बहुमत साबित करने का विकल्प चुना। कोयंबटूर उत्तर के विधायक अरूण कुमार की ओर से मतदान में अनुपस्थित रहने की घोषणा किए जाने पर विद्रोही ओ पनीरसेल्वम खेमे को बल मिला था। इससे पहले मेलापोर के विधायक और पूर्व डीजीपी आर नटराज ने सरकार के खिलाफ मतदान का फैसला किया था। इन दोनों के फैसले के बाद पलानीसामी खेमे के पास अब एक रिक्ति वाले 234 सदस्यीय सदन में 122 विधायक रह गए हैं। द्रमुक प्रमुख एम करूणानिधि खराब स्वास्थ्य के चलते सदन में मौजूद नहीं थे। वहीं, पनीरसेल्वम के खेमे ने सेम्मलई को विधानसभा में पार्टी का सचेतक नियुक्त किया है और इस संदर्भ में विधानसभा अध्यक्ष को पत्र भेज दिया है। बहुमत परीक्षण से पहले पलानीसामी के कांग्रेस की ओर से झटका मिला है। तमिलनाडु कांग्रेस समिति प्रमुख एस तिरूनवुक्करासर ने कहा है कि कांग्रेस पलानीस्वामी सरकार के खिलाफ मतदान करेगी। वहीं ताजा घटनाक्रम में तमिलनाडु में कूवाथुर स्थित एक रिसोर्ट में पिछले 10 दिनों से बंद अन्नाद्रमुक विधायक अरुण कुमार नेकहा कि वह पलानीसामी सरकार के विश्वास मत प्रस्ताव का बहिष्कार करेंगे। कोयम्बटूर उत्तर विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे अरुण कुमार किसी तरह रिसोर्ट से बाहर निकलकर अपने घर पहुंचे। अरुण कुमार ने कहा कि उन्होंने एक परिवार विशेष द्वारा सरकार को नियंत्रित किये जाने के विरोध में पार्टी के कोयम्बटूर शहर जिला सचिव पद से अपना इस्तीफा दे दिया है। राज्य में विधानसभा में कुल 234 सीटें हैं। अन्नाद्रमुक के पास 135 और डीएमके पास 89 सीटें हैं। जयललिता के निधन के बाद उनकी सीट खाली है। कांग्रेस के पास 8 सीट और मुस्लिम लीग के पास एक सीट है। पलानीसामी ने 123 विधायकों के सपोर्ट का दावा किया। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री पन्नीसेल्वम ने दावा किया है कि उनके पास दर्जन भर विधायकों का सपोर्ट है। माना जा रहा है कि ये विधायक पलानीसामी का खेल बिगाड़ सकते हैं। डीएमके ने भी कह दिया है कि उसके 89 विधायक पलानीसामी के खिलाफ ही वोटिंग करेंगे। पलानीसामी को सरकार बचाए रखने के लिए कम से कम 118 विधायकों का सपोर्ट जरूरी होगा। तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम ने अन्नाद्रमुक विधायकों से पलानीस्वामी के विश्वास प्रस्ताव के खिलाफ मतदान करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि विधायकों को परिवार राज का समर्थन नहीं करना चाहिए और विश्वास प्रस्ताव का समर्थन दिवंगत प्रमुख जे जयललिता और उनको वोट देने वालों को धोखा देने के बराबर होगा। पनीरसेल्वम ने एक संदेश में अन्नाद्रमुक विधायकों को कहा कि जयललिता ने उन सब को तैयार किया और एक पहचान दिलाई। उन्होंने द्रमुक का नाम लिए बिना कहा कि जयललिता ने अपनी सेहत का ध्यान नहीं रखते हुए राज्य में परिवार राज की स्थापना नहीं होने पाए इसके लिए राज्यभर का दौरा किया। उन्होंने पार्टी महासचिव वी के शशिकला के 2011 में पार्टी से निकाले जाने का जिक्र करते हुए विधायकों से पूछा कि क्या वह ऐसे निष्कासित व्यक्ति के परिवार राज का सहयोग करेंगे। राज्य में 29 साल बाद ऐसा मौका आया है जब फ्लोर टेस्ट होगा। इससे पहले एमजी रामचंद्रन के निधन के बाद अन्नाद्रमुक में फूट हुई थी। उस दौरान फ्लोर टेस्ट में जयललिता हार गई थीं। बाद में चुनाव में वे जीतकर लौटीं।